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जीविका संगठन से जुड़कर जीवन में आया उजाला

पति के मृत्यू के बाद जीविका दीदी के जीवन में टूटा पहाड़ का टुकड़ा

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कोसी टाइम्स मधेपुरा/जिले के कुमारखंड प्रखंड के टीकुलीया गांव के जीविका दीदी नजारा खातून पिता मो इलियास
दीदी की शादी वर्ष 2013 में मधेपुरा जिला के पथराहा निवासी मो मुस्ताक के साथ हुई थी, दीदी की शादी के बाद पति पत्नी की रिश्ता बहुत अच्छा चल रहा था, कुछ ही दिनोंबाद पति पत्नी के बीच गलत फहमी में दोनों का जीवन बीतने लगा।इस गलत फहमी को समाजिक समझौता कर दूर किया गया लेकिन तब तक में दीदी के पति शराब के आदि हो चुके थे। एक दूसरे के समझौते से वे कमाने के लिए हरियाणा गये लेकिन वहां उनकी भी उनके चाल चलन की स्थिति अच्छी नहीं रही। शराब पीते रहे। परिणामस्वरूप यह हुआ कि वह लौट कर घर नहीं आये वहीं उनकी मृत्यु हो गये। पति के मृत्यू के बाद नजराना खातून जीविका दीदी के जीवन में पहाड़ का टुकड़ा पुनः गिर गया। रोती बिलखती किसी तरह अपना तथा अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को बार-बार कोशती और जीवन को त्यागने को सोचती। दीदी के जीवन में काली घटा छा गई। उसके बाद दीदी अपने माता पिता के सहारे मजदूरी कर अपना जीवन बीतने लगी।दुःख का बोझ सर पर लिए औरों का ताना सुन सुन दीदी अपने माता पिता के साथ घर पर ही रहने लगी।बहुत दिनों के बाद बिजली सी चमक के समान खुशी दीदी के जीवन में आईं और फिर दीदी की दुसरी शादी हुई।दीदी के जीवन में पुनः खुशहाली आई।पति पत्नी का रिश्ता कुछ ही दिनों तक अच्छा रहा जिसके परिणामस्वरूप दीदी को दो पुत्री हुआ।फिर आफत की पोटली दीदी के सर पर आ गई। पति पत्नी एक दुसरे से अलग होने लगी। दीदी के पति अपने बच्चे और पत्नी की समाचार तक लेने से इंकार कर दिया। दीदी पुनः पहले की भांति कष्टमय जीवन बीतने लगी लेकिन दीदी अपने ऊपर दोनों पुत्री का भार लिए मजदूरी कर अपना जीवन व्यतीत करने लगीं।दीदी बिल्कुल अकेली हो गई। अब दीदी का सहारा कोई नही। अब दीदी के लिए इतनी लंबी जिंदगी बोझ सा महसूस होने लगी।यह सोच दीदी का जिंदगी काली रात सी हो गई थी और इसी काली रात में सतत जीविकोपार्जन योजना एक नई रोशनी के रूप में दीदी के जिंदगी में आई।जब 2019 में दीदी का चयन अत्यंत गरीब दीदी के रूप में रागनी जीविका महिला ग्राम संगठन के अंतर्गत हो गया।

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दीदी को सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत सूक्ष्म व्यवसाय के रूप में किराना दुकान के चयन किया । जिसमें दीदी को 20000/- रुपया का सामान ग्राम संगठन के माध्यम से खरीद कर दिया गया । दीदी ने अपने व्यवसाय के पीछे काफी मेहनत कर इस बीस हजार कि सम्पत्ति को 35500/- रुपया में बदल दिया जबकि किराना दुकान के साथ- साथ दीदी मनिहारी एवं अंडा का भी व्यापार करती हैं। और दीदी का मासिक आमदनी 4025/- रुपए के आसपास है औऱ बचत करीब 5000 रुपया भी बैंक में जमा कि है।

क्या कहती हैं दीदी
दीदी अपने व्यापार को आगे ले जाना चाहती है, ताकि अपने बच्चे व खुद को खुशहाल देखना चाहती है। बच्चे को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहती है। वह भी आत्मनिर्भर हो के खुद के कमाकर अपने व्यापार को बढ़ाना चाहती है!

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जीविका संगठन में ऐसे सैकड़ो दीदी मेहनत कर अपने और अपने बाल बच्चे की जिंदगी संवार रही है जिसका एक जीता जागता उदाहरण आपके सामने है।

अनोज कुमार पोद्दार
जीविका डीपीएम

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