वो शूरता है, वीरता है,
निर्भिकता और निडरता है.
वो प्रेम है, प्रणय है,
अनुरक्ति और आत्मीयता है.
वो सती है, सिया है,
नारायणी और ललिता है.
वो रिद्धि है, सिद्धि है,
पूर्णता और निपुुणता है.

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वो सृजन है, निर्माण है,
रचना और रचयिता है.
वो बीज है, अंकुर है,
लतिका और लता है.
वो नारी है, फुलवारी है,
वो सर्वशक्तिशाली है.
-दीपिका आनंद
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