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नियमों को ठेंगा दिखा खूब फर्राटा भर रही है जुगाड़ गाड़ी

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अमन कुमार/मधेपुरा/ मधेपुरा में इनदिनों जुगाड़ गाड़ी खूब फर्राटा भर रही है।एक तरफ प्रदूषण बढ़ रहा है तो दूसरी ओर सड़क दुर्घटना भी खूब हो रहा है। पटना उच्च न्यायालय ने जुगाड़ वाहन के परिचालन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है बावजूद इसके जिला मुख्यालय में मुख्य सड़क से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बेधड़क जुगाड़ गाड़ी का परिचालन हो रहा है.

मुख्यालय सहित अन्य जगहों पर जुगाड़ वाहन बेलगाम : जुगाड़ वाहन के परिचालन पर भले ही उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गयी हो किंतु शहर के विभिन्न सड़कों पर जुगाड़ वाहन पूरी तरह से बेलगाम है़।ये गाड़ी न केवल जिला मुख्यालय की सड़को पर फर्राटा भरती है बल्कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी जुगाड़ गाड़ी खूब दौड़ती है।

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सरकारी राजस्व की क्षति, बढ़ रहा प्रदूषण : एक तो इस वाहन का उपयोग व्यावसायिक कार्यों के लिए किया जा रहा है साथ ही उस पर ओवर लोडिंग भी की जा रही है़. इससे सरकारी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है़. अवैध जुगाड़ वाहन के परिचालन से वैध व्यावसायिक वाहनों के संचालकों का भी धंधा ठप पड़ गया है,जिस वाहन के परिचालन के एवज में नियमित टैक्स का भी भुगतान करना पड़ता है़. इतना ही नहीं जुगाड़ वाहन के परिचालन से वायु प्रदूषण में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है़.इससे आम जनों को हृदय व फेफड़े संबंधी बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है़.

कम लागत में लोगों के लिए माल ढुलाई का बेहतर साधन साधन बन गया है जुगाड़ गाड़ी :
माल ढुलाई का यह एक अब प्रमुख वाहन बन गया है।आश्चर्य तो यह है कि प्रशासन भी अपनी आंखों से सड़कों पर इसे चलता हुआ देख रहा है।लेकिन अभी तक इस पर रोक क्यों नहीं लगायी जा रही है।यह लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिला के कई ग्रामीण इलाकों में लोकल ट्रांसपोर्ट की भारी कमी के बीच जुगाड़ गाड़ी फर्राटे से दौड़ रही है,और गरीबों के रोजमर्रा के जीवन की राह को आसान तो बना रही है। पर इसके साथ ही वह ट्रैफिक नियमों को भी कदम-कदम पर तोड़ रही है,और सड़कों पर मौत बन कर फिर रही है।यहां यह बता दें कि इसके चालक के पास न तो कोई लाइसेंस होता है और न ही इस गाड़ी के कोई कागजात आदि ही बनाये जाते हैं।

बेतरतीब तरीके से माल लादकर करते हैं ढुलाई जो हमेशा बना रहता है खतरा का कारण :
एक साधारण पंप सेट से ही इसका निर्माण कर दिया जाता है। कबाड़ी बाजार से पंपिंग मशीन, पुरानी मोटरसाइकिल, स्कूटर, ऑटो रिक्शा और आटा चक्की के पुराने पुर्जों को खरीद कर जोड़-तोड़ कर जुगाड़ गाड़ी तैयार की जाती है।इसे बनाने में 10 से 12 हजार रुपए तक खर्च आता है।तिपहिया ठेला गाड़ी में कल-पुर्जा लगा कर जुगाड़ गाड़ी बना ली जाती है।कोई भी मोटरसाइकिल, स्कूटर या ऑटो रिक्शा मैकेनिक उसे आसानी से तैयार कर देता है।जुगाड़ गाड़ी को चलाने वाले बड़े ही खतरनाक तरीके से सामान को ढोते हैं।उस पर लोहे का सरिया, बांस और ईंट को लाद का गाड़ी का एक्सेलरेटर दबाए तेजी से गाड़ी को सड़कों पर दौड़ाते रहते हैं।इससे उसके आस-पास चलती गाड़ियां हमेशा ही खतरे की जद में रहती है।

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