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कुलपति की अध्यक्षता में सभी प्रधानाचार्यों की बैठक आयोजित - Kosi Times
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  • कुलपति की अध्यक्षता में सभी प्रधानाचार्यों की बैठक आयोजित

    मधेपुरा/ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्नातक स्तर पर पहली बार सीबीसीएस प्रणाली पहली बार लागू हुई है। इसलिए इसमें थोड़ी परेशानी हो रही है। लेकिन हम सबों को मिलकर सभी परेशानियों को दूर करना है। सीबीसीएस को सफल बनाना है और इसे सही तरीके से क्रियान्वित करना है। यह बात कुलपति प्रो. (डॉ.)


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    मधेपुरा/ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्नातक स्तर पर पहली बार सीबीसीएस प्रणाली पहली बार लागू हुई है। इसलिए इसमें थोड़ी परेशानी हो रही है। लेकिन हम सबों को मिलकर सभी परेशानियों को दूर करना है। सीबीसीएस को सफल बनाना है और इसे सही तरीके से क्रियान्वित करना है।

    यह बात कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव ने कही। वे शनिवार को सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

    कुलपति ने कहा कि राजभवन द्वारा चार वर्षीय स्नातक (सीबीसीएस) में नामांकन, परीक्षा एवं परिणाम का कैलेण्डर बना हुआ है। कैलेंडर के अनुसाश्र बीएनएमयू थोड़ा पीछे है। लेकिन शीघ्र ही सभी कुछ नियमित हो जाएगा।

    कुलपति ने बताया कि बीएनएमयू प्रथम मेधा सूची के आधार पर नामांकित सभी विद्यार्थियों का कक्षारंभ हो गया है। शीघ्र ही दूसरी सूची जारी होगी। 15 अक्टूबर तक नामांकन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। 2-6 नवंबर तक सीआईए की तिथि भी निर्धारित कर दी गई है। दिसंबर में फाइनल परीक्षा होगी।

    कुलपति ने बताया कि सीबीसीएस के अंतर्गत तीस अंकों की आंतरिक परीक्षा होगी। इसमें पंद्रह अंक टेस्ट, दस अंक असाइनमेंट/ सेमिनार/क्विज प्रेजेंटेशन और पांच अंक उपस्थिति पर दिए जाएंगे।

    सीबीसीएस लागू : कुलपति ने कहा कि स्नातक स्तर पर सीबीसीएस पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। इसके मुताबिक सभी विश्वविद्यालयों का पाठ्यक्रम और शुल्क सामान होगा। चार वर्षीय कोर्स 8 सेमेस्टर का है और इसके लिए 160 क्रेडिट तय किया गया है। प्रत्येक सेमेस्टर 20 क्रेडिट का होगा। छात्रों को अंतिम वर्ष के सातवें सेमेस्टर में पहुंचने तक 7.5 सीजीपीए प्राप्त करना होगा।

    कुलपति ने कहा कि तीन वर्षीय कोर्स करने के बाद डिग्री मिल जाएगी। चौथे वर्ष में पढ़ना अनिवार्य नहीं है। बीच में पढ़ाई छोड़ने पर भी विद्यार्थियों को यथोचित सर्टिफिकेट मिलेगा। 3 साल का स्नातक करने वालों के लिए पीजी दो वर्ष का होगा। 4 वर्षीय कोर्स करने वालों के लिए पीजी एक वर्ष का ही होगा। रिसर्च में भी सुविधा होगी।

    विद्यार्थियों को अपनी मनपसंद पाठ्यक्रम चुनने की आजादी देता है सीबीसीएस : कुलपति ने कहा कि मेजर, माइनर और स्कील इन्हांसमेंट कोर्स एवं वेल्यू एडेड कोर्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि सभी प्रधानाचार्य विद्यार्थियों को इसकी जानकारी दें और पंजीयन के समय सही से विषय भरना सुनिश्चित करा लें।

    विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है सीबीसीएस :कुलपति ने बताया कि सीबीसीएस कोर्स करने से विद्यार्थियों को कई फायदा होगा। विद्यार्थी अपनी पसंद से जो भी विषय पढ़ना चाहें, उसका चयन कर सकते हैं। इस कोर्स के तहत जो अंक प्राप्त होंगे, वह ग्रेड के रूप में होंगे। विद्यार्थियों को प्रत्येक साल 2 एग्जाम देने होंगे इस कारण विद्यार्थी अच्छे से पढ़ेंगे। इसके अंतर्गत मूल्यांकन भी बहुत बेहतर से किया जाएगा।

    कुलपति ने सभी प्रधानाचार्यों को निदेशित किया कि वर्ग-तालिका के अनुरूप सभी विषयों की कक्षाएँ सुनिश्चित कराएं और कक्षाओं में विद्यार्थियों की शत- प्रतिशत उपस्थिति हेतु हरसंभव प्रयास करें। नियमित रूप से कक्षाओं का संचालन होगा, तो शिक्षक एवं विद्यार्थियों के बीच संवाद कायम होगा। इससे संस्थान में अच्छा शैक्षणिक माहौल बनेगा और अधिकांश समस्याओं का स्वत: समाधान हो जाएगा।

    कुलपति ने कहा कि एक भी विद्यार्थी आए, तो भी कक्षा ली जाए। इससे विद्यार्थियों के बीच सकारात्मक संदेश जाता है। दूसरे विद्यार्थी भी कक्षा में आने हेतु प्रेरित होते हैं। यदि कम विद्यार्थी आने पर कक्षा नहीं ली जाती है, तो इससे विद्यार्थियों के बीच नकारात्मक संदेश जाता है।

    एनईपी पर हो कार्यशाला : कुलपति ने कहा कि सभी पदाधिकारी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्रधानाचार्य एवं शिक्षक एनईपी की समुचित जानकारी प्राप्त करें। सभी महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं सीबीसीएस पाठ्यक्रम को केंद्र में रखकर कार्यशाला एवं संगोष्ठी का आयोजन किया जाए।‌

    इस अवसर पर डीएसडब्ल्यू प्रो. राजकुमार सिंह, वित्त पदाधिकारी अरूण कुमार गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक शशिभूषण, उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर, प्रो. (डा.) कैलाश प्रसाद यादव, प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार, डॉ. अरविन्द कुमार, प्रो. (डॉ.) संजीव कुमार, प्रो. (डॉ.) यू. एस. चौधरी, प्रो. (डॉ.) डी. एन. साह, डॉ. जवाहर पासवान, डॉ. माधवेन्द्र झा, डॉ. जयदेव प्रसाद यादव, संजय कुमार, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव आदि उपस्थित थे।

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