देश को खुशहाल बनाने के लिए न सिर्फ प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षण करना होगा बल्कि सामाजिक और राजनीतिक प्रदूषण से भी मुक्ति के उपाय खोजने होंगे ।
यह बात आज रांची प्रेस क्लब में सावित्रीबाई सेवा फाउंडेशन, पुणे और गोदावरी देवी फाउंडेशन, रांची के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय पर्यावरण सेवी सम्मान समारोह में देश के विभिन्न राज्यों से आए पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर कार्य करने वाली हस्तियों द्वारा दिए गए वक्तव्यों के निचोड़ के रूप में सामने आई। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया की देश के प्राकृतिक, सामाजिक और राजनीतिक पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए देशवासियों को सरकार के भरोसे में रहने की जरूरत नहीं, बल्कि उनको अपने ही बलबूते लोक ज्ञान को अपना कर अपनी जीवनशैली को बदलने की दिशा में आगे बढ़ना होगा और लोकशक्ति को खड़ा कर उन ताकतों को ध्वस्त करने के लिए अपनी कारगर पहल करनी होगी। वक्ताओं ने चिंता व्यक्त की कि मुनाफे के लिए विनाशकारी ताकतों ने हमारे जंगल को तहस नहस कर दिया। देश की नदियों को प्रदूषित कर दिया है और बिना दुष्परिणाम के बारे सोचे हमने प्लास्टिक का उपयोग इतना व्यापक कर लिया है कि भारत आज दुनिया भर में सभी देशों के मुकाबले प्लास्टिक के कूड़े कचरों के उत्पादन करने वाले पहले नंबर के देश के रूप में शुमार किया जाने लगा है। हमने अपनी नई पीढ़ियों के लिए ऐसा माहौल बना लिया है जिससे विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त होंगे।
समारोह के पहले सत्र में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ , दिल्ली, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली तीस हस्तियों को सामाजिक और प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षण के मसीहा अनुपम मिश्र की याद में राष्ट्रीय पर्यावरण सेवी सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के शीर्षस्थ नेताओं में से एक राजेश ठाकुर और गंगा मुक्ति आंदोलन के प्रवर्तक अनिल प्रकाश थे। दो सत्रों में आ योजित इस समारोह की अध्यक्षता शिक्षविद् डा अजय सिन्हा और वरिष्ठ पत्रकार अशोक वर्मा ने की।
इस मौके पर गंगा मुक्ति आंदोलन के प्रवर्तक अनिल प्रकाश ने देश ने बढ़ते पर्यावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि झारखंड में दामोदर,स्वर्णरेखा और गंगा नदियां तेजी से प्रदूषित होती जा रही हैं। फरक्का बांध बनने से समुद्र की मछलियां मर रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम पर्यावरण की बचाने के लिए प्रयास नहीं करेंगें तो भविष्य में ऐसी स्थिति भी हो सकती है कि हमें ऑक्सीजन के सिलेंडर को अपनी पीठ पर लेकर चलने के लिए विवश होना पड़ेगा। चर्चित समाज सेवक घनश्याम ने कहा कि देश के सभी राज्यों में झारखंड राज्य की हालत बेहतर है लेकिन इस पर मुनाफाखोरों की बुरी नजर लग गई है। हमे एकजुट होकर उनका विरोध करना पड़ेगा। उत्तराखंड से आए विख्यात पर्यावरणविद सुरेश भाई ने कहा कि अंधाधुंध वनों के कटान से गंगा का उद्गम स्थल गोमुख ग्लेशियर पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। हिमालय में हो रही इस तरह की छेड़छाड़ के कारण ही भारी जल प्रलय देखा जा रहा है। जिसका प्रभाव गंगा के मैदान में करोड़ों लोगों की आबादी पर पड़ रहा है।
महाराष्ट्र से आए विधवा प्रथा विरोधी आंदोलन के जनक प्रमोद झिंझाडे ने महाराष्ट्र में शुरू हुए विधवा प्रथा विरोधी आंदोलन के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि हमें प्राकृतिक पर्यावरण के साथ सामाजिक पर्यावरण के लिए काम करना होगा। इन्होंने कहा कि विधवा प्रथा का बदस्तूर जारी होना भारतीय संविधान में महिलाओं को प्रदत्त समानता के अधिकारों का उल्लंघन है। इन्होंने पूरे देश से विधवा प्रथा को खत्म करने के लिए हरेक राज्य में आंदोलन छेड़ने की जरूरत है। इनके अलावा
डा योगेंद्र, निर्भय सिंह, वशिष्ठ राय वशिष्ठ, डा नवीन कुमार झा,अलका योगेंद्र, बिन्नी, अशोक कुमार , आनंद जी और कुमार कृष्णन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अतिथियों का स्वागत करते हुए गोदावरी देवी फाउंडेशन की महासचिव अंजुला झा राय ने कहा कि आज यह कार्यक्रम यह संदेश देने के लिए आयोजित किया जा रहा है कि हमने अपने देश के प्राकृतिक, सामाजिक और राजनैतिक पर्यावरण का इतना नुकसान कर दिया है जिससे उबरने में सदियों लग जायेंगी। अब वक्त नहीं है कि हम किसी उद्धरकर्ता के अवतार लेने का इंतजार करें। जो भी पहल करना है उसे शुरू करें और तब तक करते रहें जब तक हम लक्ष्य को हासिल ना कर लें। कार्यक्रम का संचालन सावित्री बाई सेवा फाउंडेशन, पुणे के अध्यक्ष प्रसून लतांत और डा सुधीर मंडल ने किया। सम्मानित हस्तियों को सम्मान पत्र के साथ फलदार पेड़ भी भेंट किया गया। समारोह में प्लास्टिक से मुक्ति, विधवा प्रथा उन्मूलन, वृक्ष रोपण , बच्चों को सही पाठ पढ़ाने और आम जनता को जगाने और उन्हें सशक्त लोकशक्ति के रूप में तैयार करने की जरूरत जताई गई। गढ़वा से आए शौकत खान ने सभी प्रतिभागियों तिरंगा झंडा भेंट किया। इसके बाद राष्ट्र गान के साथ समारोह संपन्न हुआ।
जिन हस्तियों को राष्ट्रीय पर्यावरण सेवी सम्मान अर्पित किया, उनमें घनश्याम झारखंड,
सुरेश भाई, उत्तराखंड,
अमरनाथ, पटना बिहार,डॉक्टर दुर्गा दत्त पाठक चंपारण
डॉक्टर कुंदन कुमार , राम प्रकाश रवि, सुपोल बिहार
शिरोमणि कुमार भागलपुर,
राजेश कुमार सुमन रोसड़ा, बिहार, निर्भय सिंह कटनी मध्य प्रदेश, प्रोफेसर डी एन चौधरी , भागलपुर,
डॉ उत्तम पीयूष मधुपुर
शेखर , रांची ,अमित मकरंद, वैशाली, बिहार, समीर अंसारी, देवघर , संदीप कुमार शर्मा, उत्तर प्रदेश, बरखा लकड़ा, झारखंड, संजीव भगत, झारखंड, विनोद भगत झारखंड, धीरज कुमार सिंह, जमुई
25 संजय कुमार , पटना, प्रमोद झिंझड़े सोलापुर, महाराष्ट्र , दर्शन ठाकुर उज्जैन, खेम नारायण शर्मा छत्तीसगढ़, जितेंद्र कुमार समस्तीपुर, कुमार कृष्णन बिहार, संजय कुमार दरभंगा नंदकिशोर वर्मा, उत्तर प्रदेश , राकेश कुमार, मुंगेर, बिहार, निशांत रंजन सारण, डा अमित कुमार ,नालंदा, शौकत खान, गढ़वा, धीरेंद्र चौबे, गढ़वा, नितीन तिवारी, सुरेश साहू, सरगुजा, विपिन कुमार, बक्सर, डा कल्लोल साहा, रांची आदि शामिल थे।