मधेपुरा/ किरण पब्लिक स्कूल में लैंगिक हिंसा के विरुद्ध अंतराष्ट्रीय महिला जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ज़िला प्रशासन द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ ज़िला प्रोग्राम पदाधिकारी रश्मि कुमारी, बाल विकास पदाधिकारी अहमद रजा खान, पूर्व प्राचार्य सह सदस्य वन स्टॉप सेंटर डॉ शांति यादव, ज़िला समन्वयक अंशु कुमारी, ज़िला कार्यक्रम सहायक राजेश कुमार, परियोजना प्रबंधक कुमारी शालिनी, महिला थाना प्रतिनिधि आरती कुमारी एवं विद्यालय प्रबंध निदेशक अमन प्रकाश के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत बुके द्वारा विद्यालय के हेड गर्ल शुभांगी एवं हेड बॉय आयुष कुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी रश्मि कुमारी ने समाज में महिलाओं का हो रहे शोषण पर आवाज़ उठाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि किसी भी महिल को अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के लिए आवाज़ उठाना चाहिए। ज़िला प्रशासन हमेशा उनके सहयोग की लिए आगे रहता है। बच्चों को गुड टच एवं बेड टच के सम्बंध में जानकारी भी होनी चाहिए।
उन्होंने छात्रों से प्रण लेने को कहा कि आप भविष्य में दहेज जैसे प्रथाओं का विरोध करे एवं इनका बहिष्कार करे ताकि स्वस्थ समाज का निर्माण कर सके। आज के परिस्तिथि से प्रतीत होता है की जैसे लड़कों के अभिभावक अपने बच्चों को दहेज लेने ले लिए शिक्षा दे रहे है जो शर्म की बात है। इस अवसर पर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी अहमद रजा खान ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा की कन्या भ्रूण हत्या, बेमेल शादी, बाल विवाह एवं महिलओ के विरुद्ध होने वाले हिंसा के लिए आज के समाज को जागरुक होने और करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व प्राचार्य सह सदस्य वन स्टॉप सेंटर की डॉ शांति यादव ने छात्राओं को सशक्त बनने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर ज़िला समन्वयक अंशु कुमारी ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया और कहा कि विकृत मानसिकता के व्यक्तियों का बहिष्कार समाज से किया जाना चाहिए एवं अगर किसी तरह का शोषण हो रहा हो तो उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना चाहिए।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विद्यालय प्रबंध निदेशक ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया एवं आग्रह किया कि इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम समय समय पर किया जाता रहना चाहिए ताकि महिलयों को अपने अधिकारों की जानकारी मिले एवं किसी भी तरीक़े के हो रहे हिंसा या शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा सके।