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चौसा को अनुमंडल बनाने की मांग को लेकर बैठक आयोजित

👉लेखक व अधिवक्ता विनोद आजाद ने कहा राजनीतिक एवं प्रशासनिक उपेक्षा के कारण चौसा को आकांक्षी प्रखंड में शामिल किया गया 👉साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने कहा चौसा प्रखंड अनुमंडल बनने की पूर्ण अर्हता रखता है 👉 समाजसेवी यहिया सिद्दीकी और कुंदन घोषईवाला ने कहा चौसा अनुमंडल बनने के सभी मानक को पुरा करता है

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मधेपुरा ब्यूरो

मिथिलांचल,सीमांचल और अंग जनपद के त्रिवेणी संगम पर अवस्थित चौसा प्रखंड को अनुमंडल बनाने की मांग वर्षों पुरानी है। बावजूद इसके राजनैतिक और तकनीकी कारणों से चौसा अनुमंडल बनने की बाट जोह रहा है।
उक्त बाबत आज शुक्रवार को चौसा पश्चिमी पंचायत स्थित आदर्श नगर में लेखक व अधिवक्ता विनोद आजाद के आवास पर एक बैठक का आयोजन किया गया। “अपना चौसा” बैनर तले आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए अधिवक्ता विनोद आजाद ने कहा कि 10दिसंबर 1957 को चौसा को प्रखंड का दर्जा दिया गया था। लगभग 70साल पुराना चौसा प्रखंड शासन की दृष्टि में आज भी आकांक्षी की हैसियत रखता है ,जो हमारे लिए शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि अब हम ऐसी उपेक्षा सहन नहीं करेंगे । चौसा को अनुमंडल का दर्जा मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।

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साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने कहा कि चौसा प्रखंड अनुमंडल बनने की पूर्ण अर्हता रखता है। चौसा धार्मिक, ऐतिहासिक, शैक्षणिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी चर्चित है।इसी प्रखंड में पॉलिटेक्निक महाविद्यालय, आईटीआई औद्योगिक संस्थान, दो- दो पावर हाउस स्थापित है।जबकि एक पावर हाउस, पॉवर ग्रिड,अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि विगत दो वर्षो से चौसा को अनुमंडल बनाने के मुद्दे पर कई धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित किए गए।स्थानीय लोग समय-समय पर बैठक कर इस मांग को मजबूती से रखते आये हैं, लेकिन वर्षों की यह मांग सरकारी फाइलों में दबकर दम तोड़ चुकी है।


समाजसेवी यहिया सिद्दीकी और कुंदन घोषईवाला ने कहा कि मिथिलांचल ,सीमांचल और अंग जनपद के त्रिवेणी संगम पर अवस्थित चौसा अनुमंडल बनने के सभी मानक को पुरा करता है। विस्तृत क्षेत्र में अवस्थित यह प्रखंड एन एच 106 और एसएच 57 के माध्यम से राजधानी पटना , पडोसी देश नेपाल, पडोसी राज्य झारखंड और पश्चिम बंगाल से जुड़ा है। लिहाजा प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी इसे अनुमंडल का दर्जा देने से विकास को गति मिलेगी।
बैठक में समवेत स्वर से चौसा को अनुमंडल बनाने केलिए संघर्ष का शंखनाद किया गया। तत्काल इस निमित्त एक तदर्थ समिति का गठन किया गया । अजय कुमार खुशबू के संयोजकत्व में आगे की रणनीति तय करने केलिए कुंदन घोषईवाला, वीरेंद्र कुमार वीरू , सुनील अमृतांशु और राहुल कुमार यादव को नामित किया गया।

मौके पर साहित्यकार संजय कुमार सुमन,समाजसेवी यहिया सिद्दीकी,पत्रकार संजय कुमार, मनीष अकेला , कुमार साजन, अंसार आलम,शहंशाह कैफ, गुलजार रजा,शिक्षक व समाजसेवी रंजीत कुमार, सआदत हसन, जवाहर चौधरी, नीतीश कुमार, कुंजबिहारी शास्त्री, प्रभाष सारथी, अमित कुमार ठाकुर सहित कई गणमान्य व्यक्तिगण उपस्थित रहे।

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