मधेपुरा/ बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा सामान्य पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सभी विद्यार्थियों (छात्र-छात्राओं) तथा सभी कोटि की छात्राओं को स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा में प्रत्येक स्तर पर नामांकन के समय सभी प्रकार के शुल्क नहीं लिए जाने का निर्णय संसूचित है। विभाग द्वारा शुल्क से सम्बन्धित आर्थिक क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। तदनुसार शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय को अविलंब अद्यतन प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया है। उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ससमय प्रतिवेदन समर्पित करने हेतु प्रतिबद्ध है।
7 अक्टूबर तक भेजें विवरणी : कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव के आदेशानुसार कुलसचिव प्रो. (डॉ.) मिहिर कुमार ठाकुर ने सभी प्रधानाचार्यों एवं विभागाध्यक्षों के पत्र प्रेषित किया है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि शैक्षणिक सत्र 2019-20, 2020-21 2021-22 तथा 2022-23 में नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या तथा शुल्क से सम्बन्धित विवरणी पूर्व प्रेषित प्रपत्र में भरकर अध्यक्ष, छात्र कल्याण कार्यालय को 7 अक्टूबर, 2023 तक निश्चित रूप से हस्तगत करवायी जाए। निर्धारित समय-सीमा के अन्दर वांछित सूचना उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में संस्थान आर्थिक क्षतिपूर्ति की राशि से वंचित रहेंगे, जिसकी सारी जवाबदेही संस्था के प्रधान ( विभागाध्यक्ष, प्रधानाचार्य / प्रभारी प्रधानाचार्य) की होगी। इसे अतिआवश्यक समझा जाए।
4 सितंबर को भी भेजा गया था पत्र : डॉ. शेखर ने बताया कि शिक्षा विभाग के विभागीय संकल्प संख्या-1457 दिनांक 24.07.2015 द्वारा संदर्भ निर्णय संसूचित है और बीएनएमयू में भी इसका अनुपालन किया जा रहा है। इसके संबंध में विश्वविद्यालय द्वारा लगातार आवश्यक निदेश जारी किए गए हैं। गत 4 सितंबर को भी विश्वविद्यालय अन्तर्गत सभी स्नातकोत्तर विभागाध्यक्षों तथा अंगीभूत एवं सम्बद्ध महाविद्यालय को पत्र प्रेषित किया गया है। पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए निदेश का अनुपालन कठोरता से करें तथा किसी भी परिस्थिति में विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक शुल्क नहीं लें।