मधेपुरा/ मधेपुरा का सदर अस्पताल नए मॉडल भवन के साथ शुरू तो हो चुका है, लेकिन परिसर की स्थिति मरीजों और स्थानीय लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। अस्पताल के बाहर मेडिकल व सामान्य कचरे का ढेर लगा है, जहां आवारा पशु विचरण कर रहे हैं। इससे बीमारी फैलने की आशंका लगातार बनी हुई है। मरीजों का कहना है कि इलाज कराने आए व्यक्ति भी यहां की गंदगी देखकर बीमार पड़ सकता है।
प्रतिमाह साफ-सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद बायोमेडिकल वेस्टेज का उचित निस्तारण नहीं हो रहा है। ऑक्सीजन प्लांट के पास कचरा खुले में पड़ा है, जिसे कई बार जलाया भी जाता है। इससे धुआँ और दुर्गंध अस्पताल परिसर में फैलती है, जो मरीजों, नवजात शिशुओं और आम जनता के लिए बेहद खतरनाक है।
नगर परिषद को कचरा उठाव की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन स्थिति बेहतर होने के बजाय बिगड़ती जा रही है। बायोवेस्ट के ढेर में फेंकी गई सिरिंज, दवाइयाँ और ऑपरेशन का अपशिष्ट आवारा पशुओं और नशेड़ी युवाओं के लिए भी जोखिम बनता जा रहा है, जिससे एड्स सहित कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
अस्पताल प्रबंधन और संबंधित एजेंसियों की लापरवाही के कारण संक्रमण का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बायोमेडिकल कचरे का समय पर और सही तरीके से निस्तारण नहीं किया गया, तो यह बड़े स्वास्थ्य संकट को जन्म दे सकता है।














