मधेपुरा/ मधेपुरा में 13 दिसंबर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के उद्देश्य से बुधवार को सिविल कोर्ट परिसर से जागरूकता रथ को रवाना किया गया। जिला जज बलराम दुबे, जिलाधिकारी तरनजोत सिंह, जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) की सचिव पूजा कुमारी साह सहित कई न्यायिक अधिकारियों ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रथ को विभिन्न क्षेत्रों के लिए रवाना किया।
इस मौके पर जिला जज ने कहा कि लोक अदालत न्याय उपलब्ध कराने की एक प्रभावी एवं सहज प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से आपसी समझौते के आधार पर मामलों का शीघ्र निपटारा किया जाता है। उन्होंने बताया कि लोक अदालत में पक्षकारों को त्वरित और सस्ता न्याय मिलता है, अधिवक्ताओं पर अतिरिक्त खर्च नहीं होता तथा कोर्ट फीस भी वापस हो जाती है। लोक अदालत में न तो कोई पक्ष दोषी ठहराया जाता है और न ही किसी को सजा मिलती है।
फैसले आपसी सहमति पर आधारित होने के कारण सभी के लिए स्वीकार्य और बाध्यकारी होते हैं। लोक अदालत के आदेश के खिलाफ आगे अपील की भी कोई गुंजाइश नहीं रहती है। जिला जज ने कहा कि न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या कम करने और जनता को न्याय के नजदीक ले जाने में लोक अदालत की महत्वपूर्ण भूमिका है।
राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह रथ विभिन्न पंचायतों, बाजारों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाकर लोगों को जागरूक करेगा। DLSA की सचिव पूजा साह ने बताया कि लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य जनता को सस्ता, सरल और त्वरित न्याय उपलब्ध कराना है।
उन्होंने कहा कि इस बार आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए 1500 से अधिक सुलह योग्य मामलों को चिह्नित किया गया है। इनमें पारिवारिक विवाद, बिजली बिल से संबंधित मामले, बैंक ऋण वसूली, दुर्घटना दावा, भूमि विवाद और अन्य दीवानी मामले शामिल हैं। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि जिन मामलों में समझौते की संभावना है, वे लोक अदालत का लाभ अवश्य उठाएं। जागरूकता रथ के माध्यम से लोक अदालत की प्रक्रिया, लाभ और न्याय तक सरल पहुंच के बारे में बताया जाएगा।














