• Others
  • सिंघेश्वर महोत्सव विवाद:-स्थानीय कलाकारों ने किया जिलाधिकारी के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद

    मधेपुरा ब्यूरो/सिंघेश्वर महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम को लेकर उपजे विवाद के बाद शहर के कलाकारों ने जिलाधिकारी के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है। कलाकारों का एक शिष्टमंडल शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन पत्र सौपा है। सौपे गए ज्ञापन पत्र में कलाकारों ने कहा है कि कुछ लोगों के द्वारा षड्यंत्र रच


    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    मधेपुरा ब्यूरो/सिंघेश्वर महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम को लेकर उपजे विवाद के बाद शहर के कलाकारों ने जिलाधिकारी के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है। कलाकारों का एक शिष्टमंडल शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन पत्र सौपा है।

    सौपे गए ज्ञापन पत्र में कलाकारों ने कहा है कि कुछ लोगों के द्वारा षड्यंत्र रच कर क्षेत्रीय कलाकारों को उपेक्षित करने की योजना बना रहे हैं। शास्त्रीय संगीत के बजाय महोत्सव में आर्केस्ट्रा जैसी कार्यक्रम कराने की मंशा बना रहे हैं। जो महोत्सव के लिहाज से कतई उचित नहीं है। कलाकारों ने मांग किया है कि शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ क्षेत्रीय कलाकारों को मंच मिलना चाहिए।

    सिंघेश्वर विधायक चंद्रहास चौपाल और जिला अधिकारी श्याम बिहारी मीणा के बीच उपजे विवाद में कलाकारों ने जिला अधिकारी का समर्थन जताते हुए कहा कि जिन लोगों को संगीत का ज्ञान नहीं है। वह लोग महोत्सव में आर्केस्ट्रा करवाना चाहते हैं। कलाकार संघ के अध्यक्ष रौशन कुमार ने कहा कि भारतीय संगीत और संस्कृति की उपेक्षा क्यों की जा रही है। बाबा सिंघेश्वर धाम के महोत्सव में कुछ और सांस्कृतिक लोक ऑर्केस्ट्रा के प्रधानता की और आकर्षित हैं जो अनुचित है।जिला प्रशासन ने अपने प्रयास में सतर्कता रखी है किंतु कुछ लोग इसे बर्बाद करना चाहते हैं जो निंदनीय है।

    कलाकार संघ के सिंघेश्वर प्रखंड सचिव प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि अगर पश्चिमी संगीत ही संगीत है तो माध्यमिक से लेकर विश्वविद्यालय तक संगीत की पढ़ाई क्यों होती है।आश्चर्य तो तब लगता है जब इस देश के रहने वाले लोग भारतीय संगीत का विरोध करते हैं। जिससे विश्व शिक्षा लेती है इसकी गहराई को नहीं समझने वाले लोग हैं इसका विरोध करते हैं। मैं इसकी निंदा करता हूं।

    गायक प्रोफेसर संजीव कुमार ने कहा कि फुहर गीतों को सुनकर समाज बच्चे बिगड़ रहे हैं। हम भारतीय संगीत से अपने को अलग रखकर समाज को विकृत कर रहे हैं। जो व्यक्ति भारतीय संगीत और लोक संगीत का विरोध कर रहे हैं। वह संस्कृति को तोड़ रहे हैं।इस तरह के व्यवहार का निंदक हूं ।

    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    Your Insights Matter - Let's Discuss This Together