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कम्प्यूटर औऱ सेटेलाइट के युग में भी जादू टोना,एक गम्भीर बात

तंत्र मंत्र और झाड़ फूंक के चक्कर में लोग हो रहे हैं तबाह,लोगों को जगाने की जरूरत

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हेमलता म्हस्के
समाजसेविका सह साहित्यकार
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हम चांद तक पहुंच गए बावजूद अंधविश्वास और जादू, टोने, तंत्र-मंत्र के नाम पर आज भी लोग तबाह हो रहे हैं। आए दिन देश के किसी न किसी क्षेत्र से अंधविश्वास के प्रभाव में आकर सामान्य लोगों द्वारा नादानी भरी और मूर्खतापूर्ण घटनाओं को अंजाम देने की खबरें आती रहती हैं। जादू टोने, टोटके, झाड़ फूंक और ओझा गुनी के चक्कर में सामान्य से सामान्य इंसान भी सहज में ही क्रूर से क्रूरतम हिंसक घटनाओं को अंजाम दे देता है। ऐसी प्रवृत्तियां घातक हैं पूरे परिवार को तबाही के सैलाब में धकेल देती हैं। ऐसी प्रवृत्तियों से लोग मुक्त हो सके इसके लिए सतत जागरण अभियान चलाने की जरूरत है बीते 1 महीने के भीतर ही अंधविश्वास, तंत्र मंत्र, और जादू , टोना, टोटके के कारण अपने और अपने परिवार को तबाह कर देने की अनेक घटनाएं घटी हैं। मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक 7 फरवरी को बिहार के कैमूर जिले की 55 साल की एक महिला मुन्नी कवर सहित तीन लोगों को एक दो वर्ष के बच्चे की गला घोट कर हत्या करने और उसकी टांग काटने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी महिला ने खुद स्वीकार किया है कि ऐसा उसने एक तांत्रिक की सलाह पर इसलिए किया कि ऐसा करने से उसकी निसंतान बेटी को संतान की प्राप्ति हो जाएगी। यह घटना अभी पुरानी भी नहीं हुई कि 20 दिनों के बाद ही 26 फरवरी को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के सिंगोरी गांव में राहत हासिल करने की आकांक्षा में एक परिवार ने तांत्रिक की सलाह पर ऐसी बर्बर कार्रवाई को अंजाम दे दिया। इस परिवार ने 22 दिन से बीमार एक नवजात शिशु को डॉक्टर को दिखाने जाने के बजाय अंधविश्वास के प्रभाव में आकर घरेलू इलाज के दौरान गर्म दरांती से शिशु के शरीर पर 65 बार दाग दिया जिससे शिशु की मौत हो गई।
इसी तरह झारखंड के धनबाद जिले के टुंडी गांव में कुछ दबंगों ने पांच महिलाओं को डायन बताकर उसके साथ बुरी तरह मारपीट की और उन सभी को अपने परिवार सहित गांव से खदेड़ कर भगा दिया। इस बारे में स्थानीय पुलिस ने 16 दबंगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन पीड़ित महिलाओं के अनुसार उनके घर के आस-पास दो लोग बीमार थे। एक ओझा ने पूरे गांव में यह अफवाह फैला दी कि ये पांच महिलाएं डायन हैं जिनके जादू टोने से लोग बीमार हो रहे हैं। इसी पर कुछ दबंगों ने उक्त घटना को अंजाम दिया। 2 मार्च को झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के चिट्ठी में गांव में बैंड बाजा और बरात सहित धूमधाम से एक 11 महीने की एक बच्ची की एक कुत्ते से शादी करवाई गई और बारातियों को दावत भी दी गई। उल्लेखनीय है कि यहां की एक जनजाति में लड़की के दांत के ऊपर दांत को अशुभ माना जाता है और जिस लड़की को यह कुकुर दांत होता है उसके अपशकुन को टालने के लिए उसकी शादी एक विशेष पर्व के दौरान कुत्ते से करने की परंपरा है 3 मार्च को ओडिशा के नवरंगपुर जिले के फूंदेल पाड़ा
गांव में एक बीमार बच्चों के इलाज के नाम पर उसके घर वालों ने उसे लोहे की गर्म छड़ से 40 बार दाग दिया जिससे बालक की हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ गई और आखिर में उसकी मौत ही हो गई। इसी तरह 7 मार्च को मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में वन विभाग के कर्मचारियों ने सागौन की लकड़ी की तस्करी करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया।जिससे यह खुलासा हुआ कि तस्करी के लिए लकड़ी काटने की शुरुआत करने से पहले गिरोह के सदस्य जंगली छिपकली के प्राइवेट पार्ट की पूजा करते हैं इनका मानना है कि इससे तस्करी के लिए लकड़ी काटने और ले जाने में कोई बाधा नहीं आएगी और पकड़े जाने का खतरा भी नहीं होगा । 7 मार्च को ही गोवा में बाबा साहब अलार और उसकी पत्नी पूजा को एक तांत्रिक की सलाह पर अपनी परेशानियां समाप्त करने के लिए अपने पड़ोस की 6 साल की बच्ची की बलि देने और उसके शव को अपने घर के पिछवाड़े में दफनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इन सभी घटनाओं से यह जाहिर होता है कि आज भी देश के कई इलाकों में लोग आंखें मूंदकर झाड़ फूंक और दकियानूसी रीति रिवाज के जंजाल में फंसे हुए हैं।

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