सुपौल/ कोशी नव निर्माण मंच द्वारा सुपौल के डिग्री कॉलेज चौक पर कोशी पीड़ितों के साथ सरकार और प्रशासनिक उपेक्षा के खिलाफ दिन में 11 बजे से एक दिवसीय धरना आयोजित किया। गांधी जी बलिदान दिवस पर उन्हें नमन कर धरना कार्यक्रम शुरू हुआ।
धरना में आए बड़ी संख्या में कोशी पीड़ितों ने बाढ़ में भोगी गई पीड़ा बताएं, भरी आवाज और आंखों में आंसु लिए अनेक महिलाओं ने कहा कि इस बाढ़ में हमलोग बचने की उम्मीद छोड़ दिए थे। ऐसा लग रहा है कि पुनर्जीवन हुआ है यदि उनके पास बसने का बाहर जमीन होता तो वे वहां फिर उस स्थिति में नहीं जाते। उनलोगों ने बताया कि जितनी बड़ी त्रासदी थी उस के हिसाब से बचाव, रेस्क्यू, राहत कार्य l, क्षतिपूर्ति देने में प्रशासन विफल रहा है | लोग भूखे-प्यासे कई दिनों तक बिलख रहे थे पर बहुतों के पास नावें नही पहुंची| चौकी, चौकी पर रखने के बाद भी पानी आने के बाद, छप्पर पर चढ़कर बाल-बच्चों को लेकर बैठे रहे ,सभी चापाकल डूब गये और नदी का पानी कीचड़युक्त था जिससे दो-दो दिनों भूखे, प्यासे तड़पते रहे| उसी में विषैले सांप, और अनेक खतरनाक जानवर आकर और तकलीफे बढाये| अनाज कपड़ा लता, सारा समान भास गया, अनेक लोगों के जानवर, बकरी भास गई। जब पानी कम हुआ तो घर कीचड़ से भर गया था उसको साफ करने में भारी तबाही हुई। जिनके घर कट गए आज तक गृह क्षति नहीं मिली है। पुनर्वास की जमीन अनेक जगह पड़ी है पर उनको कटाव में बचा छप्पर तक नहीं रखने को जगह नहीं है। सरकार और प्रशासन की इस घोर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ मिलकर शांतिपूर्ण संघर्ष करने का संकल्प लिया।
विदित हो कि विगत वर्ष आज ही के दिन कोशी नव निर्माण मंच द्वारा सुपौल से पदयात्रा शुरू हुई थी सैकड़ों लोग पैदल चलते फरियाद सुनाने पटना तक गए थे उसमें प्रमुख मांग थी कि क्लाइमेट चेंज के दौर में कभी भी भारी बाढ़ आएगी तो सबसे पहले इसके शिकार कोशी तटबंध के भीतर के लोग ही होंगे इसलिए सर्वे करके पुनर्वास से वंचित सभी लोगों को बाहर पुनर्वास दिलाया जाए।
कोशी के सवालों का 11 सूत्रीय मांग पत्र जिला पदाधिकारी की अनुपस्थिति में अनुमंडल पदाधिकारी को वार्ता कर दिया।
ठोस कार्रवाई नहीं होने पर संगठन आंदोलन तेज करेगा।
धरना की प्रमुख मांगे :
1) कोशी कटाव पीड़ितों को गृहक्षति का भुगतान अविलंब कराया जाए और पुनर्वास की खाली जमीनों में उन्हें बसाया जाए। सुपौल अंचल के खखई स्पर के कटाव पीड़ित की आबंटित गहरी जमीन को मनरेगा के तहत उसमें मिट्टी भरवाया जाए, साथ ही वहां आने-जाने का रास्ता भी बनवाया जाए और सभी पीड़ितों को प्रधानमन्त्री आवास योजना का लाभ दिया जाए|
2) तटबंध के भीतर सर्वे कराकर सभी को पुनर्वासित कराया जाए
3) प्रधान मंत्री आवास योजना के लिए हो रहे सर्वे में कोशी तटबंध के भीतर रह रहे सभी परिवारों को लाभ दिया जाए।
4) वस्त्र बर्तन की राशि, बाढ़ में मृत पशुओं के क्षति की राशि, जीआर से वंचित लोगों की राशि सहित सभी शेष राहत और क्षतिपूर्ति का भुगतान अविलम्ब किया जाए और बाढ़ में चले शिविर के आंकड़े सार्वजनिक की जाए।
5) इस बार की भयानक बाढ़ में मानक संचालन प्रकिया (SOP) और मानदर के अनुपालन में हुई विफलता पर स्वेत पत्र जारी करे।
6) तटबंध एक भीतर उप स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना हो। टीकाकरण की मुकम्मल व्यवस्था हो|
7) तटबंध के भीतर सभी विद्यालयों का भौतिक सत्यापन कराकर शिक्षा से वंचित बसाहटों में विद्यालयों की स्थापना करायी जाए|
8) कोशी पूर्वी तटबंध के सुरक्षा के लिए निर्मित स्परों को यथाशीघ्र निर्माण कराया जाए| जहां जहां कटाव हो रहा है वहां पाईलिंग कराई जाए।
9) कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय और प्रभावी बनवाने में जिला प्रशासन पहल करे|
10) माफ़ लगान की वसूली पर रोक लगे और भू-सर्वे की प्रक्रिया सरल हो
11) कोशी मैची नदी जोड़ योजना और डगमारा बैराज से कोशी की बाढ़ नहीं खत्म होगी इसलिए सभी छाड़न धाराओं को पुनर्जीवित किया जाए। साथ ही कोशी समस्या का समाधान वैज्ञानिक ज्ञान और लोकज्ञान के समन्वय से हो।
इन प्रमुख लोगों ने बातें रखीं : कार्यकम की अध्यक्षता भुवनेश्वरी प्रसाद और संचालन इंद्र नारायण सिंह ने किया।
संगठन के परिषदीय अध्यक्ष संदीप यादव ने विषय प्रवेश कराते हुए आज के धरना कार्यक्रम करने के विषय में बताया, अन्य वक्ताओं में रीता देवी, दायरानी देवी, बबीता कुमारी, गंगा देवी प्रमिला देवी, मो अनवर सूर्तिपट्टी, संतोष मुखिया , प्रमोद राम, संदीप , राजेश कुमार मंडल, शिवशंकर मंडल, चंद्र मोहन, धर्मेन्द्र, आलोक राय आदि ने बात रखी।