स्वामी श्री रामानंद शास्त्री जी महाराज ने कहा मानव को अपना जीवन व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए
हिंदी एवं अंगिका के साहित्यकार संजय कुमार सुमन की धर्मपरायण माता मंजूलता भारती के निधनोपरांत एक दिवसीय सत्संग समारोह का आयोजन
कोसी टाइम्स @ मधेपुरा ब्यूरो
जिस स्थान पर सत्संग का आयोजन किया जाता है वह स्थान पवित्र हो जाता है। जो भक्त सत्संग में भाग लेते हैं वह भवसागर को पार कर जाते हैं। ईश्वर ने मानव रूपी शरीर दिया है। यह मानव शरीर पूर्व जन्मों की कठिन तपस्या से प्राप्त होता है। मानव को अपना जीवन व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। अपने दैनिक कार्याें में लीन रहते हुए समय निकालकर भगवत भजन में शामिल होना चाहिए ताकि मन को शांति व आत्मीय सुख प्राप्त हो सके।
उक्त बातें आचार्य महामंडलेश्वर परमपूज्य स्वामी श्री रामानंद शास्त्री जी महाराज ने कही।वे बीते दिन हिंदी एवं अंगिका के साहित्यकार संजय कुमार सुमन की धर्मपरायण माता मंजूलता भारती के निधनोपरांत आयोजित एक दिवसीय सत्संग समारोह को संबोधित कर रहे थे।कार्यक्रम का शुभारंभ संतों की अमर वाणी,स्तुति व विनती से हुआ।
उन्होंने कहा कि संतो के दिखाये मार्ग पर चलकर सदगुरु महाराज की स्तुति करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है। साहित्यकार सुमन की माँ धार्मिक प्रवृत्ति की थी।सत्संग भजन में लीन रहती थी।
स्वामी अनंतानंद जी महाराज ने कहा कि हम मनुष्य सभी प्राणियों में श्रेष्ठ होने के साथ बड़े भाग्यशाली हैं। इसलिए हमें इस तन को सांसारिक सुख से हटाकर सद् काम में लगाकर मनुष्य जन्म को साकार करना चाहिए। लेकिन सत्संग नहीं मिला तो ये दुर्भाग्य है। अगर सत्संग मिल गया तो अहोभाग्य है।
स्वामी फूल बाबा ने कई भक्ति गीतों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि गुरु महर्षि मेंही महाराज ने कहा है कि गंग, जमुन, युग धार मध् ही सरस्वती वही। लेकिन फुटल मनुषवा के भाग्य गुरु गम नाहीं लहि। इसलिए संतों का संग बहुत जरूरी है। संत आपके जीवन की सार्थकता को समझाते हैं।
मौके पर प्रो गौरीशंकर भगत,केदार भगत,ठाकुर भगत,सत्यप्रकाश गुप्ता विदुरजी, पृथ्वीराज भगत,संतोष कुमार, प्रबोध प्रकाश, बिपीन भगत,रामोतार आनंद भगत,रामाशीष गुप्ता,डॉ मनमोहन मनीष,निरंजन साह,जितेंद्र कुमार सुमन,शंभु कुमार,संयुक्ता कुमारी,वंदना, उषा कुमारी, ललिता कुमारी, खुशबू कुमारी समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे।