खुशी की कहानी: लुसेंट की किताब और जज़्बे से लिखी सफलता की इबारत, मधेपुरा में एसपी ने दिया नियुक्ति पत्र
गोपालगंज की बेटी खुशी बनी बिहार पुलिस, कहा– सपना टूटा नहीं, अब दरोगा बनकर लौटूंगी
मधेपुरा/ “सपने पूरे होते हैं अगर दिल से चाहो और मेहनत में कोई कसर न छोड़ो” — यह कहावत सच कर दिखाया है बिहार के गोपालगंज जिले की रहने वाली ख़ुशी कुमारी ने। कभी आर्थिक तंगी से जूझते हुए गांव में ही पढ़ाई की, बाहर जाकर कोचिंग का सपना तक नहीं देख सकी, लेकिन गांव के एक छोटे से कोचिंग सेंटर और लुसेंट की किताब को ही अपना साथी बनाकर आज बिहार पुलिस में अपनी जगह बना ली है।
कोसी टाइम्स से बातचीत में खुशी ने बताया कि यह उसका पहला प्रयास था और उसी में उसे सफलता मिल गई। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद उसकी आंखों में आंसू थे—खुशी के आंसू। उसने कहा,
> “बचपन से पुलिस बनने का सपना देखा था। आज सपना साकार हुआ है। अब समाज के लिए ईमानदारी से काम करूंगी।”
दारोगा बनना था सपना, अब मिशन बनेगा
खुशी आगे कहती हैं,

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“असल सपना तो दारोगा बनने का था, लेकिन वह अभी अधूरा है। इसकी कसक ज़रूर है… मगर अब लक्ष्य तय है—मैं एक दिन दरोगा बनकर दिखाऊंगी।”

एसपी के हाथों मिला नियुक्ति पत्र : खुशी को नियुक्ति पत्र एसपी संदीप सिंह के हाथों मिला। उन्होंने खुद खुशी को बधाई दी और उसके जज़्बे को सलाम किया। नियुक्ति पत्र मिलते ही खुशी का चेहरा खिल उठा। एक ओर जहां उसके माता-पिता की आंखें गर्व से भर आईं, वहीं गांव में भी जश्न का माहौल बन गया।इस दौरान मधेपुरा मुख्यालय डीएसपी मनोज मोहन, ट्रेफिक डीएसपी चेत्नंद झा, उदाकिशुनगंज डीएसपी अविनाश कुमार, सदर थानाध्यक्ष विमलेन्दु कुमार आदि मौजूद थे.
गांव की लड़कियों के लिए बनी मिसाल : खुशी अब अपने जैसे हालात में जी रही हर लड़की को एक संदेश देती है:“रुकना नहीं है। किताबें आपकी सबसे अच्छी दोस्त हैं। सपनों को मत छोड़ो, चाहे हालात जैसे भी हों।”
कोसी टाइम्स सलाम करता है इस जज़्बे को
खुशी की कहानी इस बात की मिसाल है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो गांव की पगडंडियों से चलकर भी कोई बेटी पुलिस की वर्दी तक पहुंच सकती है।
— रिपोर्ट: कोसी टाइम्स टीम
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