दिल्ली ब्यूरो
वंचित समुदायों के अधिकारों की आवाज बुलंद करने के लिए वरिष्ठ पत्रकार और समाजकर्मी प्रसून लतांत को प्रथम डॉक्टर बी आर अंबेडकर सबाल्टर्न जर्नलिज्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इस अवार्ड का उद्देश्य उन पत्रकारों, लेखकों और स्तंभकारों के प्रयासों को प्रोत्साहित करना है, जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जागृति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं और देश में संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
श्री लतांत को यह अवार्ड हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र टाउन हॉल टाइम्स द्वारा दिया गया। डा आंबेडकर की याद में इस तरह के अवार्ड देने की परंपरा की शुरुआत वरिष्ठ पत्रकार और संपादक सुरेंद्र कुमार ने की है। दिल्ली के राजेंद्र भवन में बाबा साहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि पर आयोजित एक जागृत समारोह में को जाने-माने एंकर दारिन शाहिदी सहित ग्लोबल लॉ फोरम के अध्यक्ष प्रभाकरण लिंकन, आमलोगों के हक के लिए संघर्ष करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण मांझी और जीएसटी कमिश्नर शक्तिवेल ने प्रदान किया।
इन अतिथियों ने इस मौके पर देश के विभिन्न राज्यों के जोखिम मोल लेकर लेखन करने वाले पत्रकारों और लेखकों को भी सम्मानित किया।इसके पहले इस साल ही राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र जनसत्ता के चीफ रिपोर्टर रहे प्रसून लतांत पत्रकारिता के प्रख्यात शिक्षक और लेखक डा देवेंदर कौर उप्पल स्मृति पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किए गए हैं। प्रसून लतांत को यह सम्मान नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में विन्यास प्रकाशन द्वारा कवि घनश्याम की याद में आयोजित एक समारोह में दिया गया। उन्हें पर्यावरण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए हिन्दी उर्दू अदबी संगम, नई दिल्ली की ओर से सुंदरलाल बहुगुणा स्मृति सम्मान से भी सम्मानित किया है।
बिहार के भागलपुर में जन्में फिर वहीं से पढ़े लिखे। गांधी विचार में एम ए करने के बाद पत्रकारिता में सक्रिय हुए। अब पत्रकारिता के साथ समाज सेवा भी कर रहे हैं। वे इन दिनों पूरे देश में विधवा प्रथा विरोधी आंदोलन को गति देने में लगे हैं। इसी के साथ पिछले एक दशक से दिल्ली में गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा और विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के साझे प्रयास से संचालित की जा रही सन्निधि संगोष्ठी के संयोजक मंडल के सदस्य रहे हैं। सन्निधि संगोष्ठी साहित्य के क्षेत्र में युवा रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए बहु चर्चित मंच है। अब तक इस मंच पर पांच सौ से अधिक युवा रचनाकार शिरकत कर चुके हैं।
सन्निधि संगोष्ठी हरेक महीने विभिन्न विधाओं में लेखन करने वाले युवा साहित्यकारों को मंच देती है और साल में दो बार काका साहब कालेलकर और विष्णु प्रभाकर की स्मृति में साहित्य के साथ समाजसेवा, कला, पत्रकारिता, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में युवा हस्तियों को सम्मानित किया जाता है। चयन राष्ट्रीय स्तर पर होता आया है।
प्रसून लतांत राष्ट्रीय दैनिक जनसत्ता में 25 साल तक कार्यरत रहे। वे जनसत्ता के लिए शिमला, चंडीगढ़, हरियाणा और दिल्ली में पत्रकारिता करते रहे। इसके बाद भारत सरकार के प्रकाशन विभाग की पत्रिकाओं योजना और आजकल के संपादन विभाग में दो साल तक कार्यरत रहे। जनसत्ता में जाने के पहले गांधी शांति प्रतिष्ठान की पत्रिका गांधी मार्ग में सहायक संपादक रहे। गांधी मार्ग से पहले भागलपुर बिहार में नई बात दैनिक अखबार में पांच साल तक कार्यरत रहे। महत्मा गांधी की कुटिया सेवाग्राम में दो साल तक रहकर गांधी साहित्य का अध्ययन और लेखन किया। इनकी पत्रकारिता महात्मा फुले, गांधी, आंबेडकर के विचारों पर केंद्रित गतिविधियों सहित हाशिए पर पड़े समुदायों के हितों और विभिन्न जायज मुद्दों पर होने वाले आंदोलन के साथ संस्कृति, समाज सेवा , पर्यावरण ,साहित्य और बच्चों की परिस्थितियों पर केंद्रित रही है।
प्रसून लतांत की सार्वजनिक जीवन की शुरुआत बिहार में 1974 के छात्र आंदोलन से हुई। उसके बाद से अभी तक सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं। इन्होंने बस्तर के जंगलों में आदिवासियों को सशक्त बनाने के अभियान में भाग लिया। चंडीगढ़ की मजदूर बस्तियों के पुनर्वास के लिए और हिमाचल में महिला शिक्षा के लिए चले विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रहे। शहीद खुदीराम बोस के साथी प्रफुल्ल चंद चाकी पर डाक टिकट जारी करवाने और चंडीगढ़ में मजदूरों के पुनर्वास के साथ हिमाचल प्रदेश में प्रख्यात कथाकार चंद्रधर गुलेरी की स्मृति में कॉलेज खुलवाने में कामयाबी इनकी उपलब्धियों में दर्ज है। इसी के साथ दिल्ली में निदान फाउंडेशन, भागलपुर में अंग मदद फाउंडेशन और अंग जन गण और पुणे में सावित्रीबाई फुले सेवा फाउंडेशन की स्थापना कर खास कर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करते आ रहे हैं। मातृभाषा अंगिका को मान सम्मान दिलाने के लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं।
प्रसून लतांत पिछले चालीस सालों में दर्जनों सम्मान और पुरुस्कार से भी नवाजे जा चुके हैं। इनमें गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा स्वामी प्रणवानंद शांति पुरस्कार, केंद्रीय गांधी स्मारक निधि द्वारा हुसैन रचनात्मक लेखन सम्मान हिमाचल सरकार द्वारा विकास पत्रकारिता अवार्ड, उदयन शर्मा ट्रस्ट द्वारा उदयन शर्मा पत्रकारिता अवार्ड, दस्तक प्रभात द्वारा लोक शिखर सम्मान , बिहार अस्मिता सम्मान, अंग गौरव सम्मान और अंग सपूत सम्मान आदि उल्लेखनीय हैं।