अफजल राज/पुरैनी, मधेपुरा/प्रखंड मुख्यालय सहित मुस्लिम बाहुलीय इलाके की मस्जिदों में शुक्रवार को माह-ए-रमजान के पहले जुमा की नमाज अदा हुई। रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा कर रोजेदारों ने अपने गुनाहों से तौबा की। साथ ही देश-दुनिया और समाज की खुशहाली की परवरदिगार से दुआ की, जिस पर रोजेदारों ने एक आवाज में ‘आमीन’ कहा।
डुमरैल जमै मस्जिद में कारी जिब्राइल अहमद कासमी ने जुमे की नमाज से पहले लोगों को संबोधित करते कहा कि यह मुबारक माह नफलों को फर्जों के बराबर सवाब दिलाने वाला एक फर्ज का सवाब सत्तर फर्जों के बराबर देने वाला अल्लाह ताला ने चुना है। इस मुबारक माह में जो भी मुसलमान एक फर्ज अदा करेगा, उसे सत्तर फर्जों का सवाब मलेगा। जो नफल अदा करेगा, उसे फर्जों के बराबर सवाब मिलेगा। इस अवसर पर मुसलमानों में गरीबों की सहायता के लिए दिए जाने वाले जुकात का जिक्र करते कहा कि यदि मुसलमान इसी सही रूप में दे, तो समाज में कोई व्यक्ति गरीब मोहताज दिखाई नहीं देगा।
उन्होंने कहा कि हर मुसलमान के लिए जरूरी है कि जिस मुसलमान के पास साढ़े 52 तोले चांदी या इसकी कीमत के बराबर सामान, सोना या किसी भी रूप में अधिक जायदाद हो, तो उसे अपनी अधिक बनत रकम पर ढाई प्रतिशत जुकात के रूप में गरीबों को देना जरूरी है। इस्लाम ने इसकी परिभाषा देते कहा कि जिसके पास यह सब कुछ सामान रूप में न हो, उसे जुकात या सदका दिया जा सकता है। मुसलमानों के लिए जरूरी है कि जुकात की सही रकम इसके सही जरूरतमंदों तक पहुंचाई जाए ताकि इस्लाम में दी गई गरीब की परिभाषा के तहत यह फर्ज अदा किया जा सके व रब्ब की कचहरी में यह कबूल हो सके।
उन्होंने कहा कि बारिश का न होना या सही ढंग से इसका फायदा दुनिया में रह रहे जीवों का न मिलने संबंधी हजरत मोहम्मद ने फरमाया कि जब मुसलमान जकात देना बंद कर देंगे, तो रब्ब द्वारा बारिश रोक दी जाएगी। वहीं मुसलमानों ने रमजान के पहले जुमा को लेकर खास तैयारी की थी। रमजान मुबारक में जुमे को सबसे ज्यादा तिलावत होती है।
नमाज अदा करने के बाद इफ्तार के लिए खजूर, फल और अन्य जरूरी सामान की खरीदारी को अकीदतमंदों की भीड़ बाजार में उमड़ी पड़ी।