माता मंजुलता धर्मपरायण थी,दिन रात सत्संग भजन में लगी रहती थी-स्वामी श्रीरामानंद शास्त्रीजी महाराज
साहित्यकार संजय कुमार सुमन की दिवंगत माँ मंजुलता भारती के प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित सत्संग समारोह
मधेपुरा प्रतिनिधि
सत्संग में आने वाले ही परमात्मा के कृपापात्र बनते हैं। सत्संग से ही जीव को वह ज्ञान प्राप्त होता है जिससे इस संसार के दुखों से छूट कर अंनत सुख को प्राप्त कर सकते हैं।
उक्त बातें आचार्य महामंडलेश्वर परम् पूज्यपाद स्वामी श्रीरामानंद शास्त्रीजी महाराज ने कही।वे बीते दिन सोमवार को हिंदी एवं अंगिका के साहित्यकार संजय कुमार सुमन की दिवंगत माँ मंजुलता भारती के प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित एक दिवसीय सत्संग समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि माता मंजुलता धर्मपरायण थी।दिन रात सत्संग भजन में लगी रहती थी।सत्संग-भजन करने वाले को जन्म मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसके लिए सच्चे सदगुरू की शरण मे जा कर उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। सच्चे सदगुरू परमात्मा से मिला देने वाले होते हैं। परमात्मा की प्राप्ति अपने अंदर में होगी। इसके लिए गुरू से युक्ति जानकर भक्ति करनी चाहिए।

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स्वामी फुल बाबा ने कई भक्ति गीतों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि पैसे व शक्ति का अहंकार मनुष्य को कभी नहीं करना चाहिए। जब हमारे अंदर पैसे व शक्ति का अहंकार होने लगेगा तो हमारे अंदर भी राक्षसी प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाएगी। वैसे मनुष्य अपने रिश्ते-नातों को छोड़ अहंकार के आवेश में दूसरों पर अत्याचार करने लगते हैं। हमेशा उनके मुंह से कटु वाक्य ही निकलते हैं। परंतु वैसे मनुष्यों का अंतिम समय बहुत ही कष्टदायक होता है।
समारोह को प्रो गौरीशंकर भगत,बाबा शैलेश,संजय शर्मा ने भी संबोधित किया। मौके पर जितेंद्र कुमार सुमन,रामोतार भगत आनंद,सत्यप्रकाश गुप्ता,प्रबोध प्रकाश,डॉ मनोज मंडल, संतोष कुमार,डॉ नागेंद्र प्रसाद गुप्ता, जवाहर चौधरी, सुनील जायसवाल, संजय जायसवाल, आशीष कुमार, मनोज शर्मा, यहिया सिद्दीकी,उषा रानी,खुशबू कुमारी, ललिता कुमारी,आशा देवी समेत दर्जनों की संख्या में लोग उपस्थित थे।इस अवसर दर्जनों लोगों को साड़ी एवं अंगवस्त्र का वितरण किया गया।