मधेपुरा/ बिहार में इन दिनों मौसम का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। लगातार हो रही बारिश और बीते दिन आए भीषण आंधी-तूफान ने मधेपुरा जिले के पुरैनी और आसपास के पंचायतों में तबाही मचा दी। सैकड़ों घर उजड़ गए, एक व्यक्ति की मौत हो गई और करीब पचास लोग घायल बताए जा रहे हैं। पूरा इलाका अंधेरे में डूबा हुआ है — बिजली सेवा पूरी तरह ठप है।
लेकिन इस अंधकार के बीच जो चीज़ एक बार फिर उम्मीद की लौ बनकर सामने आई है, वह है — लालटेन।
जी हाँ, वही लालटेन जो बिहार की राजनीति में “राजद” का प्रतीक रही है, आज फिर लोगों के घरों में रोशनी बिखेर रही है।
पुरैनी पंचायत में लोग अब पुराने स्टोर रूमों से लालटेन निकाल रहे हैं, उसे साफ कर रहे हैं, और मिट्टी तेल भरकर जलाने की कोशिश कर रहे हैं। कोई पुराने चिमनी के शीशे को कपड़े से पोंछ रहा है, तो कोई लालटेन में नया बत्ती लगा रहा है।

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राजद के लोगों का कहना है कि “जब बिजली और व्यवस्था दोनों फेल हो जाएं, तब असली भरोसा लालटेन ही है।” यह दृश्य सिर्फ एक ग्रामीण इलाके की तस्वीर नहीं है — यह उस प्रतीक की वापसी है, जिसने बिहार की राजनीति में गरीबों, किसानों और आम जनता की आवाज़ को रोशनी दी थी।
राजद समर्थकों का कहना है कि “लालटेन सिर्फ एक चुनावी निशान नहीं, बल्कि वह उम्मीद है जो हर अंधेरे दौर में लोगों के साथ खड़ी होती है।”
मधेपुरा की यह तस्वीर आज पूरे बिहार को याद दिला रही है —
समय कितना भी बदल जाए, लेकिन लालटेन की रोशनी कभी बुझती नहीं।
तस्वीर साभार