• Investigation
  • भारत की पहली महिला शिक्षिका थी सावित्रीबाई फुले: डॉ. जवाहर पासवान

    मधेपुरा/ भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जिन्होंने दलित  महिलाओं को हक दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया उक्त बातें राजकीय अम्बेडकर कल्याण छात्रावास‌ मुरलीगंज मधेपुरा में सावित्रीबाई फुले जयंती समारोह में के.पी.कालेज के प्रधानाचार्य सह सीनेट एवं सिंडिकेट के सदस्य डॉ.जवाहर पासवान ने कही। उन्होंने ने कहा कि महिला सशक्तिकरण


    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    मधेपुरा/ भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जिन्होंने दलित  महिलाओं को हक दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया उक्त बातें राजकीय अम्बेडकर कल्याण छात्रावास‌ मुरलीगंज मधेपुरा में सावित्रीबाई फुले जयंती समारोह में के.पी.कालेज के प्रधानाचार्य सह सीनेट एवं सिंडिकेट के सदस्य डॉ.जवाहर पासवान ने कही।

    उन्होंने ने कहा कि महिला सशक्तिकरण व शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने कई कार्य किए। 19वीं शताब्दी के समाज में कई रुढ़िवादी कुरितियां व प्रथाएं व्याप्त थी। इन सबका सावित्रीबाई ने पूरजोड़ विरोध किया। उन्होंने महिलाओं के हक दिलाने के लिए डटी रही, संघर्ष किया लेकिन हार नहीं मानी।

    सावित्रीबाई फुले भारत की सबसे महान हस्तियों में से एक थी। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर के महाराष्ट्र तथा पूरे भारत में महिलाओं के हक के लिए लड़ाई लड़ी थी। उन्हें मुख्य तौर पर इंडिया के फेमिनिस्ट मूवमेंट का केंद्र माना जाता था। सावित्रीबाई फुले बहुत ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्त्री थी।

    सावित्रीबाई फुले कौन है और उन्होंने महिला समाज के लिए क्या किया?” यह प्रश्न आमतौर पर लोगों द्वारा पूछा जाता रहता हैं।सावित्री बाई फुले ने उनके पति ज्योतिराव फुले अर्थात् ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर मुख्यत शिक्षा के क्षेत्र में काम किया था। सावित्रीबाई फुले को भारत के पहले बालिका विद्यालय की प्रथम प्रिंसिपल होने का ग़ौरव प्राप्त हैं। इतना ही नहीं ये पहले किसान विद्यालय की संस्थापिका भी थी।

     

    सावित्री बाई फुले द्वारा किए गए मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं-

    1. महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को महाराष्ट्र के साथ-साथ भारत में सामाजिक सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता हैं।

     

    2. महिलाओं, दलित, आदिवासी और पिछड़े हुए लोगों की शिक्षा का श्रेय इनको ही जाता हैं।

    3. सावित्रीबाई फुले का जीवन एक मिशन की तरह था। उन्होंने अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य बना रखा था कि कैसे भी करके सामाजिक जीवन को ऊपर उठाना है।

    4. विधवा विवाह पर उस समय पूर्ण रूप से प्रतिबंध था, सती प्रथा का प्रचलन था। इस वजह से ज्यादातर महिलाओं का जीवन कष्ट में गुजरता था और समाज में उनको लोग देखना तक पसंद नहीं करते थे। सावित्री बाई फुले ने विधवा विवाह करवाने पर ज़ोर दिया।

    5. समाज के ख़िलाफ़ जाकर उन्होंने कई “विधवा विवाह” करवाएं।

    6. छुआछूत समाज की एक बहुत बड़ी समस्या बन गई थी इसको समाप्त करने और समाज को जाग्रत करने का ज़िम्मा सावित्री बाई फुले ने उठाया।

    7. महिलाओं की मुक्ति के साथ साथ दलित और आदिवासी महिलाओं की शिक्षा का स्तर उस समय नहीं के बराबर था। महिला शिक्षा पर कई तरह के सामाजिक प्रतिबंध लगे हुए थे। जिन्हें दूर करने में इन्होंने अपना जीवन लगा दिया।

    8. जातिगत आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए इन्होंने अथाह प्रयास किए। इस बीच इन्हें कई लोगों से आलोचना का सामना करना पड़ा लेकिन अपने कर्तव्य और लक्ष्य से एक कदम भी पीछे नहीं हटी।

    9. पुणे में लड़कियों के लिए पहला विद्यालय 1848 में शुरू किया गया था। इस कदम का समाज ने उनके साथ साथ उनके परिवार का भी विरोध शुरू कर दिया।

    10 मंगल और महार जातियों के लिए उन्होंने विशेष रूप से कार्य किया। इनका मुख्य फोकस पिछड़ी और दलित आदिवासी महिलाओं पर था। विधवा विवाह का पूरा श्रेय इन्हें जाता हैं।

    11. समाज के लोगों द्वारा बहिष्कार किए जाने के बाद खुले दंपत्ति को इनके एक मित्र उस्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख का सहारा मिला। विद्यालय शुरू करने में आ रही प्रारंभिक समस्या का समाधान करते हुए उस्मान शेख और उनकी बहन ने उन्हें स्थान दिया।

    12. सन् 1852 तक फुले परिवार ने 3 विद्यालय प्रारंभ कर दिए थे। शिक्षा के क्षेत्र में अतुल्य योगदान देने के लिए पूरे परिवार को ब्रिटिश सरकार द्वारा 16 नवंबर को सम्मानित किया।

    13. इसी वर्ष सावित्रीबाई को सर्वश्रेष्ठ शिक्षिका के सम्मान से सम्मानित किया गया।

    14. सावित्रीबाई फुले द्वारा “महिला सेवा मंडल” का शुभारंभ किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य था महिलाओं को उनके अधिकार, उनकी गरिमा के साथ जो सामाजिक मुद्दे हैं उनके प्रति जागरूक करना।

    15.18 वीं शताब्दी में एक प्रथा का प्रचलन था जिसके तहत यदि कोई महिला विधवा हो जाती तो उसके बाल काट दिए जाते थे। धीरे-धीरे यह प्रथा समाज में विकट रूप लेते जा रही थी। सावित्रीबाई फुले ने इस प्रथा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया और सफल भी रही।

    16. वर्ष 1857 सावित्रीबाई फुले के लिए कई समस्याओं को लेकर आया उनके द्वारा संचालित तीनों स्कूल बंद कर दिए गए। उनके ऊपर कई तरह के आरोप लगाए गए।

    17. एक वर्ष के पश्चात सावित्रीबाई ने लगभग 18 नए विद्यालयों की शुरुआत की जो कि उनकी एक बहुत बड़ी जीत थी।

    18. सावित्रीबाई के साथ फातिमा शेख भी जुड़ चुकी थी और वह भी दलित वर्ग को शिक्षित करने के लिए सावित्रीबाई फुले का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रही थी।

    19. उच्च वर्ण के लोग दलित और पिछड़े लोगों की शिक्षा के खिलाफ थे। इस वजह से वह फातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले पर गोबर और पत्थर फेंकते थे।

    20. कहते हैं जिनके हौसले बुलंद होते हैं उन्हें अंततः सफलता जरूर मिलती है और लोगों का साथ भी मिलता है। फातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले को भी सुगना बाई नामक महिला का साथ मिला।

    21. सुगना बाई ने की शिक्षा आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

    22. अडिग इरादे और बुलंद हौसले के दम पर सावित्रीबाई फुले ने रात्रि के समय विद्यालय प्रारंभ करने की योजना बनाई ताकि जो मजदूर महिला और पुरुष दिन में पढ़ नहीं सकते हैं, उन तक भी आसानी के साथ शिक्षा पहुंचाई जा सके।

    23. सन1855 में सावित्रीबाई फुले ने कृषक और मजदूरों के लिए एक रात्रि कालीन विद्यालय की स्थापना की और सफलतापूर्वक संचालन किया।

    24. सावित्रीबाई फुले व उनकी टीम समय-समय पर शिक्षकों और अभिभावकों की एक मीटिंग का आयोजन करती थी। जिसका उद्देश्य यह होता था कि शिक्षा और समाज के बीच में सामंजस्यपूर्ण वातावरण का निर्माण किया जा सके।

    25. “बाल हत्या  प्रतिभानक गृह” की स्थापना 1867 ईसवी में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य शिशु मृत्यु दर को कम करना और ब्राह्मण विधवा महिलाओं और पिछड़ी विधवा महिलाओं और प्रजनन के समय आने वाली समस्याओं का एक छत के नीचे समाधान करना था। साथ ही लावारिस बच्चियों और बच्चों की देखभाल करना था।

    26. काशीबाई नामक एक विधवा ब्राह्मण महिला के 1 बच्चे को ज्योति राव फुले और सावित्रीबाई फुले द्वारा 1874 ईसवी में गोद लिया गया। यह इन दोनों का दत्तक पुत्र था, इसका नाम यशवंतराव था जो बड़ा होकर डॉक्टर बना।

    27. उस समय महिलाओं के अस्तित्व पर जो खतरा था, उन्हें दूर करने के लिए सावित्रीबाई फुले ने “विधवा पुनर्विवाह” के साथ महिलाओं को आगे लाने और उनके उत्थान के लिए कार्य किए।

    28. सावित्रीबाई फुले नीची जाति की महिलाओं और पुरुषों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना चाहती थी, ताकि पारंपरिक हिंदू सनातन धर्म से सभी को जोड़ा जा सके और साथ ही भेदभाव दूर किए जा सके।

    29. सावित्रीबाई फुले ने जो मुख्य कार्य किया वह यह था कि उन्होंने स्वयं के घर में एक पानी का कुआं खोदा। यह कुआं सभी धर्म और जातियों के लिए था, क्योंकि इस युग में अछूतों की छाया को भी घृणा की नजर से देखा जाता था। ऐसे में इस तरह का कार्य करके सावित्रीबाई फुले हमेशा के लिए अमर हो गए।

    30. सावित्रीबाई फुले को सम्मान देने और उनकी जयंती को यादगार बनाने के लिए गूगल ने भी उनके लिए एक डूडल निकाला था।

    31.”सावित्रीबाई फुले का इतिहास” गवाह देता है कि उन्होंने समाज के उत्थान के लिए कितना बड़ा त्याग किया और कई तरह की यातनाएं झेली थी।

    कार्यक्रम में छात्रावास अधीक्षक प्रो .महेंद्र मंडल, समन्वयक ललन कुमार, डॉ अमरेन्द्र कुमार, डॉ शिवा शर्मा, डॉ त्रिदेव निराला, डॉ सुशांत कुमार सिंह, डॉ चन्द्रशेखर आजाद, डॉ प्रतीक कुमार, डॉ पंकज कुमार, डॉ विजय पटेल प्रधान सहायक नीरज कुमार निराला, अभिषेक कुमार लव कुमार आदि उपस्थित थे।

    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    प्रतिमाह ₹.199/ - सहयोग कर कोसी टाइम्स को आजद रखिये. हम आजाद है तो आवाज भी बुलंद और आजाद रहेगी . सारथी बनिए और हमें रफ़्तार दीजिए। सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

    Support us

    Prashant Kumar Avatar
    इस खबर पर आपकी कोई शिकायत या सुझाव हो तो हम तक अपनी बात पहुंचाये । मेल करें [email protected].
    ये आर्टिकल आपको कैसा लगा ? क्या आप अपनी कोई प्रतिक्रिया देना चाहेंगे ? आपका सुझाव और प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्वपूर्ण है।