मधेपुरा। महर्षि वेदव्यास के जन्मोत्सव को समर्पित गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर महर्षि मेंही नगर वार्ड नंबर-05 स्थित संतमत सत्संग मंदिर में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत संत स्तुति, प्रार्थना और सद्ग्रंथों के पाठ से हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और गुरु की महिमा का गुणगान किया।
कार्यक्रम का संचालन अवकाश प्राप्त शिक्षक शिवनारायण साह ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि – “गुरु ही जीवन का सच्चा मार्गदर्शक होता है। जो व्यक्ति गुरु को मानते हुए पारिवारिक और सामाजिक जीवन जीते हैं, उनके जीवन में सुख, शांति और संतुलन बना रहता है।”
रामचंद्र यादव ने अपने वक्तव्य में गुरु पूर्णिमा की महत्ता बताते हुए कई धर्मग्रंथों का संदर्भ दिया और गुरु की उपासना को जीवन का अनिवार्य अंग बताया।

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इस अवसर पर अखिल भारतीय संतमत के पूर्व महासचिव प्रो. विंदेश्वरी बाबा ने कहा – “महर्षि वेदव्यास ने चारों वेद, अठारह पुराण, श्रीमद्भगवद्गीता और महाभारत जैसे महान ग्रंथों की रचना की। उनके योगदान के कारण ही समूचे विश्व ने उन्हें गुरु के रूप में स्वीकार किया। यही वजह है कि उनके जन्म दिवस को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।”
उन्होंने आगे कहा – “जैसे पृथ्वी के बिना जीवन असंभव है, वैसे ही सद्गुरु के बिना जीवन अधूरा और दिशाहीन होता है। सद्गुरु ही जीवन को सार, आधार और उद्देश्य प्रदान करते हैं।”
उन्होंने वर्गभेद, जातिभेद और आर्थिक भेदभाव को समाज के लिए कलंक बताते हुए समभाव और समानता को ही सच्ची ईश्वर भक्ति का मूल बताया।
इस पावन अवसर पर अधिवक्ता सोहनलाल गुप्ता, सीताराम साह, संजय गुप्ता, गजेंद्र यादव, प्रो. सुजीत मेहता, विभा, वीणा, प्रेमलता निरंजना, अंशु सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना और प्रसाद वितरण के साथ हुआ।