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  • न्यूरोपैथिक दर्द के ईलाज में लहसून कारगर- डॉ.शशिधरमेहता

    संजय कुमार सुमन/हमारे घर के किचन में कई ऐसी करामाती चीजें होती हैं जिनका फायदा हमें ज्यादा मालूम नहीं होता।उनमें से एक लहसुन भी है। आमतौर पर लहसुन का प्रयोग खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है।जैसे लहसुन खाने का स्वाद बढ़ा देता है, वैसे ही इसके अन्य कई फायदे भी हैं, जो


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    संजय कुमार सुमन/हमारे घर के किचन में कई ऐसी करामाती चीजें होती हैं जिनका फायदा हमें ज्यादा मालूम नहीं होता।उनमें से एक लहसुन भी है। आमतौर पर लहसुन का प्रयोग खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है।जैसे लहसुन खाने का स्वाद बढ़ा देता है, वैसे ही इसके अन्य कई फायदे भी हैं, जो चौंका देते हैं। लहसुन औषधीय गुणों से भरपूर है, जो आपको स्वस्थ रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई लोग इसके गुणों से वाकिफ ही नहीं हैं।सुबह खाली पेट लहसुन का सेवन हमारे शरीर को कई लाभ देता है।वहीं लहसुन को पानी के साथ लेने पर संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार आता है।लहसून में मौजूद रासायनिक तत्व न्यूरोपैथिक दर्द की बीमारी के इलाज में काफी कारगर है।

    उक्त बातों की जानकारी वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट, दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत एवं शोधकर्ता डॉ.शशिधर मेहता ने दी।वे बिहार के मधेपुरा जिला के चौसा निवासी हैं।ये अल्कोहल जनित उत्पन्न न्यूरोपैथिक दर्द में लहसून की औषधिए गुणों की उपयोगिता पर शोध कर रहे हैं। डॉ. मेहता मेवाड़ विश्वविद्यालय, राजस्थान से अपनी डॉक्टरेट रिसर्च के दौरान एक शोध से इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि लहसून कई बीमारियों में जबरदस्त काम करती है। उन्होंने बताया कि चमत्कारिक औषधीय गुणों से भरपूर लहसून का उपयोग हमारे यहां सभी घरों में खाद्य सामग्री के रूप में किया जाता है।कच्चा लहसुन खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना गया है। लहसुन में पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर को कई समस्याओं से बचाने में हमारी मदद करते है।

    डॉ. मेहता ने बताया कि एल्कोहलिक तंत्रिकीय दर्द के सूझ्म लक्षणों में यर्थात् टांग दर्द, बांह में दर्द और शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होना, सांस लेने में दिक्कत होना, थकान, रक्त प्रवाह की कमी के कारण टांग के मांसपेशियों में कमजोरी आना शामिल है ।उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हर साल शराब पीने की वजह से 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। इतना ही नहीं, शराब पीने से 200 से ज्यादा बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है। 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.)की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि हर साल 2.6 लाख भारतीयों की मौत शराब पीने से हो जाती है।

    डॉ शशिधर मेहता

    दिल्ली शहर के वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट, दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत एवं शोधकर्ता डॉ.शशिधर मेहता ने अपने शोध में पाया कि एलियंम सटाइवम (लहसून) इसके अर्क में एलीसिन एवं एजोने जैसे 33 प्रकार के सल्फर यौगिक है, जिसमें एलीसिन सबसे अधिक सक्रिय तत्व है। एलीसिन एक प्रतिक्रियाशील सल्फर प्रजाति का सक्रिय तत्व है, एलीसिन एक थायोसल्फिनेट है अर्थात एलीसिन एक आकर्षक जैविक रूप से सक्रिय यौगिक है, जिसके गुण अणु के रसायन विज्ञान का प्रत्यक्ष परिणाम है।लहसुन में एंटी-बायोटिक, एंटी-फंगल,एंटी-वायरल, मैंगनीज, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम और विटामिन जैसे सभी पोषक तत्व पाए जाते है। जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक होते है।

    उन्होंने कहा कि एलियम सटाइवम (लहसून) यह संपूर्ण विश्व में बिकने वाला औषधि पूर्ण हर्बल है। कुछ शोध के अनुसार लहसुन के अर्क से बनने वाली दवाई के अधिक मात्रा में उपयोग करने से उक्त-रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, यौन समस्या, रक्त स्राव, मानसिक विकार, अस्थमा और टी.बी. एवं न्यूरोपैथिक दर्द कम होता पाया गया है।डॉ मेहता ने कहा कि कई शोधों में साबित हो चुका है लहसून के नियमित सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, इसमें मौजूद एलीसिन तत्व कोलेस्ट्रॉल और बी.पी. को कम करता है, वह हार्ट ब्लॉकेज को भी खोलता है।इसमें anti-diabetic के गुण पाए जाते हैं, जो शुगर कंट्रोल में सहायक होते हैं। डॉ. मेहता का दावा है कि इसमें कोलेस्ट्रॉल नियंत्रक, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी- माइक्रोबियल, एंटी- इंन्फेल्मेटरी और कई बीमारियों में असरकारक साबित हुए हैं।
    इस शोध को डी.आर.डी.ओ. भारत सरकार के प्रतिष्ठित साइंस जर्नल ‘डिफेंस लाइफ साइंस जर्नल’ में प्रकाशित भी किया गया है। डॉ. शशिधर ने बताया कि अल्कोहल के अधिक प्रयोग करने से होने वाले न्यूरोपैथिक दर्द को रोकने में लहसून बहुत ही कारगर साबित हुआ है।
    डॉ मेहता के अनुसार शराब पीने से होने वाले नुकसान हैं –
    * लीवर रोग
    * उच्च रक्तचाप, स्टृोक, ह्दयरोग
    * कैंसर
    * मानसिक विकार
    * यौन समस्या
    * मधुमेह
    * हड्डियों की कमजोरी,
    * गर्भावस्था विकार

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