पांच दिवसीय श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ का हुआ शुभारंभ
स्वामी श्री यादवेंद्र आनंद जी ने कहा कि मानव का जीवन दुर्लभ है।
राजीव कुमार@गम्हरिया,मधेपुरा
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वाधान में आयोजित पांच दिवसीय श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ मंगलवार को गम्हरिया बाजार स्थित अनीता पैलेस के प्रांगण में किया गया। श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ मंगलवार यानी 17 जनवरी 2023 से लेकर शनिवार 21जनवरी 2023 तक चलेगा।
संस्थान के संस्थापक व संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी श्री यादवेंद्र आनंद जी ने कहा कि मानव का जीवन दुर्लभ है। साथ ही यह परमात्मा की अनमोल कृति है परंतु इसकी महत्व को ना समझने के कारण मानव अपने अस्तित्व को भूल चुका है। इसलिए वह परेशान है हताश है और निराश है ।महापुरुषों ने कहा है कि खाना,पीना, सो जाना यह सभी जीव करते हैं और अपने जैसे संतति की उत्पत्ति करते हैं। यह काम करने के उपरांत पशु अपने आचरण से कभी नीचे नहीं गिरता परंतु मनुष्य अपने आचरण से गिर पशुपता चरण में तब्दील कर लेता है। आखिर क्या कारण जबकि पशुओं के लिए कोई पाठशाला धर्मशाला का निर्माण नहीं हुआ फिर भी वह परमात्मा के बनाएं नियमों के अनुकूल आचरण करता है। आज मनुष्य इसलिए परेशान है क्योंकि वह परमात्मा के बनाए हुए आचरण से गिर जाने के कारण परेशान हैं इसीलिए समय-समय पर संत सद्गुरु धर्म सभा का आयोजन करते हैं। मानव के उद्देश्य को समझाते संत कबीर कहते हैं एक दुख काटो मेरे राम राय अगन देह और गर्व बसेरा संसार मे कोई दुख नही है अगर है तो सिर्फ एक कि बार बार माँ के गर्भ में जन्म लेना और बार बार चिता की अग्नि में जलना इसलिए संत तुलसी बाबा कहते है नर तन के यह फल भाई भजिये राम सब काम बि। सत्संग में बताया गया कि लोग आज प्रतिष्ठा मान सम्मान के लिए भाग दौड़ तो करता है लेकिन उसे दिशा का ज्ञान ही नहीं है बगैर दिशा की ज्ञान का सभी मान सम्मान प्रतिष्ठा व्यर्थ है जिस प्रकार अर्जुन को श्रीकृष्ण ने दिशा देकर नया मार्ग दिया और विजय श्री को प्राप्त किया। इसलिए कहा गया है आ शरण श्री राम की ।लोगों को आत्म शक्ति को पहचानने की जरूरत है।
श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ में मुख्य रूप से भूमिका निभा रहे सर्व श्री आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी कुंदनानंद जी, ललित कुमार ,जय कृष्ण कुमार ,संबोध साह, बिनोद यादव सहित अन्य शिष्य मौजूद रहकर आने वाले अनुयायियों का सेवा करते रहे।