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  • नौकरी मांगने वाले नहीं नौकरी देने वाले बने : अर्लेकर

    मधेपुरा। राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा है कि डिग्री लेकर छात्र को नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनना चाहिए। डिग्री लेने का उद्देश्य समाज की सेवा होना चाहिए। श्री अर्लेकर शुक्रवार को भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में आयोजित पांचवें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आपसे


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    मधेपुरा। राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा है कि डिग्री लेकर छात्र को नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनना चाहिए। डिग्री लेने का उद्देश्य समाज की सेवा होना चाहिए। श्री अर्लेकर शुक्रवार को भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में आयोजित पांचवें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आपसे कल कोई नहीं पूछेगा कि कितने गोल्ड मेडल लिए, कितने नंबरों से पास किया बल्कि आपका बर्ताव आपकी शिक्षा और आपकी डिग्री को दर्शायेगा।

    उन्होंने कहा कि अर्जित ज्ञान को और अधिक व्यापक करने के साथ-साथ दूसरों के साथ भी इसे बांटे। आप अपने क्षेत्र में सर्वोच्च मुकाम हासिल कर राष्ट्र के विकास और मानवता के कल्याण में सहयोग देंगे। श्री अर्लेकर ने कहा कि दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं बल्कि एक नई शुरुआत है। यह वह चौराहा होता है जहां से आपको तय करना है कि आपको किस दिशा में जाना है।

    नई शिक्षा नीति पर किया फोकस :
    कुलाधिपति सह राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति पर फोकस किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने पर सबका उत्तरदायित्व बढ़ गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आपकी जरूरतों को देखकर बनाई गई है। पहले की शिक्षा नीति आपको नौकरी मांगने वाला बनाती थी, नई शिक्षा नीति आपको नौकरी देने वाला बनाएगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कई तरह की व्यवस्था है। आप एक साल बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं तो सर्टिफिकेट मिलेगा। दो साल की पढ़ाई के बाद छोड़ देते हैं तो डिप्लोमा मिलेगा और तीन साल की पढ़ाई कर छोड़ देते हैं तो स्नातक की डिग्री मिलेगी।

    कुलाधिपति ने कहा कि बिहार का गौरवशाली अतीत रहा है। यहां की शिक्षा, संस्कृति और इतिहास कभी देश की दिशा और दशा तय करती थी। आज हमें वही करना है। बिहार को ऐसा बनाना है कि पूरा देश बिहार की ओर देखे। पूरे देश से छात्र बिहार में शिक्षा अर्जन के लिए आएं। उन्होंने अफसोस जताया कि नई शिक्षा नीति को अपनाने और उस दिशा में आगे बढ़ने में बिहार पीछे रह गया है। उन्होंने राज्य सरकार और खासकर शिक्षा मंत्री से इस दिशा में सहयोग करने का आग्रह किया। कहा कि सीटें बढ़ने से विश्वविद्यालय में छात्रों का दबाव बढ़ गया है लेकिन शिक्षकों की कमी है। आग्रह है कि आप विश्वविद्यालय को साधन और सुविधा उपलब्ध कराएंगे।

    इससे पहले कुलाधिपति सह राज्यपाल श्री अर्लेकर को विद्वत शोभा यात्रा के साथ मंच पर लाया गया। राष्ट्रगान के बाद कुलाधिपति श्री अर्लेकर, शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर, कुलपति प्रो. आर के पी रमण, प्रोवीसी प्रो. आभा सिंह, कुलाधिपति के प्रधान सचिव रोबर्ट चौंकथू सहित अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर दीक्षांत समारोह का विधवत शुभारंभ किया। कुलपति प्रो. आर के पी रमण ने स्वागत भाषण सह विश्वविद्यालय प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें उन्होंने विगत सालों में विश्वविद्यालय की उपलब्धियां को दर्शाया। शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने सरकार की योजनाओं को रखा। मंच संचालन कुलसचिव डॉ मिहिर कुमार ठाकुर और धन्यवाद ज्ञापन प्रो वीसी डॉ आभा सिंह ने किया।

    45 छात्रों को मिला गोल्ड मेडल :

    दीक्षांत समारोह में विभिन्न विषयों में टॉप करने वाले 43 छात्रों को कुलाधिपति सह राज्यपाल ने गोल्ड मेडल और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इसमें 20 छात्र और 23 छात्राएं शामिल हैं। इसके अलावा विभिन्न विषयों में पीएचडी करने वाले छात्रों को भी प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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