प्रशांत कुमार । मधेपुरा। जिला युवा उत्सव 2025 का समापन तो हो गया, लेकिन पूरे कार्यक्रम में फैली अव्यवस्था, सीमित भागीदारी और पक्षपात के आरोपों ने आयोजन की गरिमा पर सवाल खड़ा कर दिया है। करीब सौ प्रतिभागियों ने विभिन्न विधाओं में हिस्सा लिया और सफल प्रतिभागियों को मेडल व प्रमाणपत्र देकर सम्मानित भी किया गया, परंतु इस वर्ष का युवा उत्सव अपनी कुव्यवस्था और बदइंतजामी को लेकर अधिक चर्चा में रहा।
प्रचार-प्रसार के अभाव में 13 में से सिर्फ 2–3 प्रखंड तक सीमित हुआ आयोजन
प्रतिभागियों के अनुसार जिले के तेरह प्रखंडों में से केवल दो–तीन प्रखंडों से ही प्रतिभागी पहुंचे। आयोजन की सूचना न तो ब्लॉक स्तर पर पहुंची और न ही विद्यालय–महाविद्यालय तक, जिसके कारण मधेपुरा जैसे बड़े जिले में मात्र सौ के करीब युवक–युवतियों ने ही भाग लिया। यहां तक कि दूसरा अनुमंडल उदाकिशुनगंज लगभग पूरी तरह कार्यक्रम से अलग-थलग दिखा।

दर्शकों की कमी, स्कूलों से बच्चों को बुलाकर भरी गई दर्शक दीर्घा
कार्यक्रम में दर्शकों का अभाव ऐसा था कि मध्य विद्यालयों से बच्चों को बुलाकर सीटें भरी गईं। कई बच्चों ने कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भूख से परेशान होकर नाश्ता की मांग की जिससे आयोजन की कमजोर तैयारी उजागर हुई।
कई विधाओं में सिर्फ तीन प्रतिभागी, सबको मिला फर्स्ट–सेकंड–थर्ड
कुव्यवस्था का आलम यह रहा कि कई विधाओं में सिर्फ तीन प्रतिभागी मौजूद थे और औपचारिकता निभाते हुए उन्हें क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार दे दिया गया।
एक ही चेहरे को उद्घोषणा से लेकर जज तक की जिम्मेदारी, पक्षपात के आरोप
प्रतिभागियों ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम में कुछ विशेष लोगों को अधिकारी स्तर पर अत्यधिक तरजीह दी गई।
- एक ही व्यक्ति को उद्घोषणा, जज, और अन्य भूमिकाओं की जिम्मेदारी दी गई।
- कई जज अपने तय विधा को छोड़कर दूसरे विधा में भी निर्णय लेते दिखे।
- प्रतिभागियों ने आरोप लगाया कि “यहाँ जज कोई होते हैं, निर्णय कोई और लेता है।”
प्रतिभागियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यदि कोई अव्यवस्था पर आवाज उठाता है तो अगले वर्ष उसका नाम हटा दिया जाता है या उसे कम अंक दे दिए जाते हैं।
जिले में सैकड़ों योग्य जज और ट्रेनर, फिर भी उन्हीं चेहरों का वर्चस्व
सवाल उठाया गया कि मधेपुरा जिले में सैकड़ों कला–संगीत शिक्षक और निजी संस्थान हैं। यदि वहां तक सूचना पहुंचाई जाती तो प्रतिभागियों की संख्या कहीं अधिक होती और जिले की नई प्रतिभाएं सामने आ पाती। यहाँ तक कि कई निर्णायक मंडल के सदस्य अपने ही विद्यालय–महाविद्यालय के बच्चों को शामिल नहीं करते, ताकि उन पर पक्षपात का आरोप न लगे — या फिर आगे बढ़ जाने का भय बना रहता है।
प्रतिभागियों की डीएम से मांग — हर कार्यक्रम के लिए अलग कमिटी और जज बने
प्रतिभागियों ने जिला पदाधिकारी से मांग की है कि:
- युवा उत्सव सहित सभी सांस्कृतिक आयोजनों में अलग-अलग कमिटी और अलग निर्णायक मंडल बनाए जाएं।
- एक ही व्यक्ति को कई भूमिकाओं से दूर रखा जाए।
- जिला स्तर पर जितने भी योग्य लोग हैं, उन्हें मौका देकर निष्पक्ष वातावरण तैयार किया जाए।
प्रतिभागियों का कहना है कि यदि व्यवस्थाएं पारदर्शी हों और चयन प्रक्रिया निष्पक्ष हो, तो जिले की असली प्रतिभा सामने आएगी और युवा उत्सव अपनी सार्थकता को प्राप्त कर सकेगा।














