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साहित्य के सूर्य हैं दिनकर,जो कभी अस्त नहीं होंगे : डॉ किनवार

जयंती पर याद किए गए राष्ट्रकवि दिनकर

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भागलपुर प्रतिनिधि

दिनकर सचमुच में साहित्य जगत सूर्य हैं जिनका कभी अस्त नहीं होगा ।दिनकर ने जिस विधा में भी रचना की अपनी प्रतिभा का लोहा बनवाया उन्होंने श्रृंगार लिखा तो उसकी कोई सानी नहीं है ओज लिखा तो प्रतिमान स्थापित कर दिया गद्य लिखा तो पूरी संस्कृति को चार अध्याय में समेट लिया इतनी क्षमता के साथ हिंदी साहित्य में ना के बराबर साहित्यकार आते हैं हिंदी ही नहीं विश्व के सभी भाषाओं में रचे गए साहित्य में इस प्रकार की प्रतिभा कम देखने को मिलती है ।

उक्त बातें साहित्यकार डॉ मनजीत सिंह किनवार ने छोटी खंजरपुर स्थित कुमार क्विज में नवोत्साह साहित्य संगम के बैनर तले आयोजित दिनकर जयंती पर एकल व्याख्यान में कही ।कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ मनजीत सिंह किनवार,आकाशवाणी भागलपुर के उद्घोषक कुमार गौरव,ग़ज़लों मिथिलेश अंग एवं कवि कुमार आनंद ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया ।

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कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ मनजीत सिंह किनवार,आकाशवाणी भागलपुर के उद्घोषक कुमार गौरव,ग़ज़लों मिथिलेश अंग एवं कवि कुमार आनंद ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया ।

संगठन की जिलाध्यक्ष मृदुला सिंह ने कहा दिनकर जी कविता पढ़ने से समाज का कई परिदृश्य सामने उकर आते हैं। समाज की कुरीतियां जिस प्रकार बढ़ रहीं हैं ऐसे में आजादी के समय दिनकर जी की कविताएं प्रासंगिक हैं । संगठन मंत्री कुमार गौरव ने कहा कि आज समाज तेजी से जिस विसंगतियों की ओर बढ़ रहा है उसमें साहित्य ही समाज को दिशा दे सकता है। वर्तमान समय में युवाओं को दिनकर जी से सीखने की आवश्यकता है ।उनकी यह कविता “विपत्ति जब आती है कायर को दहलाती है , सुरमा नहीं विचलित होते ,क्षण एक नहीं धीरज खोते सुनकर उपस्थित युवाओं में जोश भर दिया ।

आनंद कुमार ने कहा कि उनकी साहित्यिक रचनाओं को आज की युवा पीढ़ी जबतक आत्मसात नहीं करेगी तबतक उनकी प्रासंगिकता फलीभूत नहीं होगी ।जितनी जल्दी हो सके हम सबों को उसे जीवन में उतारने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संयोजक पूर्णेंदु चौधरी ने कहा कि हम धीरे धीरे संगठन को इसी तरह मिलजुलकर आगे बढ़ाते रहेंगे।

मौके पर संगठन की जिलाध्यक्ष मृदुला सिंह , डॉ नीरज कुमार , मिथिलेश आनंद अर्पिता चौधरी,अभिलाषा कुमारी ,चक्रधर कृष्णा,सूरज भारती,वर्षा ,पूजा, रोहित, आशुतोष,निधि, लूसी, सुमित राजकुमार,मनीषा भारती ,शबनम, पुरुषोत्तम एवं अभिरंजन सहित दर्जनों युवा एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

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