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  • कर्ण गढ़ को राष्ट्रीय धरोहर स्मारक घोषित करने की मांग उठी

    भागलपुर प्रतिनिधि नाथनगर,कर्ण गढ़ को राष्ट्रीय धरोहर स्मारक घोषित किया जाय । यह मांग कर्ण गढ़ पर आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाज कर्मी प्रो रतन कुमार मंडल ने की। उन्होंने कर्ण की स्मृति को बचाए रखने के लिए उनकी प्रतिमा स्थापित करने के लिए लोगों से आगे आने अपील की। इसके पहले


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    भागलपुर प्रतिनिधि

    नाथनगर,कर्ण गढ़ को राष्ट्रीय धरोहर स्मारक घोषित किया जाय । यह मांग कर्ण गढ़ पर आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाज कर्मी प्रो रतन कुमार मंडल ने की। उन्होंने कर्ण की स्मृति को बचाए रखने के लिए उनकी प्रतिमा स्थापित करने के लिए लोगों से आगे आने अपील की।

    इसके पहले प्रसिद्ध रंगकर्मी सीतांशु अरुण ने सभा में प्रस्ताव रखा कि केंद्र और राज्य सरकार दानवीर कर्ण वेलफेयर फाउंडेशन को कर्ण की प्रतिमा के निर्माण के लिए और कर्ण पर केंद्रित सांस्कृतिक गतिविधियों के संचालन के लिए वित्तीय मदद देना शुरू करे। कर्ण गढ़ पर महा प्राचीन मानसकामना नाथ मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है इसे महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करे। सरकार रंगकर्मियों के लिए दानवीर कर्ण
    प्रेक्षा गृह बनाए ताकि अंग प्रदेश के रंगकर्मी अपनी कला का विकास कर सके और उनके दर्शक उनके नाटकों को समग्रता में देख सकें। सरकार कर्ण के जीवन प्रसंगों पर केंद्रित एक संग्रहालय भागलपुर में बनाए ताकि नई पीढ़ी को कर्ण के बारे में सही जानकारी मिले। भागलपुर रेलवे स्टेशन पर एक ऐसा पटल बनाए जिस पर संक्षिप्त में यात्रियों को कर्ण के बारे में जानकारी दी जाए और स्टेशन पर हिंदी के साथ अंगिका भाषा में उद घोषणाएं सुनिश्चित किए जाएं। भागलपुर हवाई अड्डे का नाम दानवीर कर्ण के नाम पर रखा जाए।
    साहित्यकारों के लिए कर्ण राइटर्स होम बनाए जाएं। सभा में मौजूद सैकड़ों लोगों ने हाथ उठा कर पारित किया।

    दानवीर कर्ण वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव प्रमोद सिन्हा ने स्वागत भाषण के क्रम में यह संकल्प व्यक्त किए कि कर्ण गढ़ पर जब तक विशाल प्रतिमा स्थापित नहीं हो जाती तब तक चैन से नहीं बैठेंगे।

    अमृत पुरुष अमरेंद्र के सान्निध्य में हुई सभा में मंजूषा कला में कर्ण की आकृति बनाने वाले बाल कलाकारों को सम्मानित किया। मंजूषा गुरु मनोज पंडित के नेतृत्व में बाल कलाकारों की प्रतियोगिता का संयोजन किया। मंजूषा कला में कर्ण की उपस्थिति पहली बार हुई है और नमन सागर ने सबसे पहल की।

    कार्यकम की शुरुआत अंगिका की प्रसिद्ध लोक गायिका अर्पिता चौधरी के सुमधुर गायन से हुई। इसी के साथ कई हस्तियों को लोक शिखर और लोक चेतना सम्मान से सम्मानित किया गया।

    सम्मानित होने वालों सीतांशु अरुण, डॉ सुधीर मंडल, ऊषा सिन्हा प्रीति श्रीवास्तव, मधुरेंद्र और हेमा म्हस्के आदि के नाम प्रमुख हैं।

    कार्यक्रम का संचालन प्रसून लतांत ने किया। उन्होंने संचालन के क्रम में कहा कि अंग प्रदेश कर्ण के कारण गौरवान्वित है। धन्यवाद ज्ञापन फाउंडेशन के अध्यक्ष पप्पू मंडल ने किया। कार्यक्रम के सहयोगियों में परमानंद ,दीपक कुमार, लखन खटीक और पप्पू के नाम उल्लेखनीय हैं।

    गौरतलब है कि भागलपुर के सबसे बड़े सभागार का नाम कर्ण के नाम से हो गया। भागलपुर के सबसे बड़े मैदान के रूप में सेंड्स कंपाउंड के द्वारों के नाम कर्ण द्वार रख दिए गए हैं लेकिन हजारों वर्षों से उस कर्ण गढ़ पर कर्ण की प्रतिमा नहीं है जिसकी गवाही इतिहास की पुस्तकें देती हैं। इन पुस्तकों के मुताबिक कर्ण गढ़ पर कर्ण के राज की राजधानी के अवशेष हैं।

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