कोसी टाइम्स ग्राउंड रिपोर्ट और एक्सपर्ट एनालिसिस/ बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दोनों चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है। पहले चरण में 6 नवंबर को 121 और दूसरे चरण में 11 नवंबर को 122 सीटों पर मतदान हुआ। कोसी टाइम्स की ग्राउंड रिपोर्ट, रिपोर्टर्स पोल और राजनीतिक विश्लेषण के अनुसार इस बार राज्य में NDA को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना है, जबकि महागठबंधन पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है।
🔹 NDA को बढ़त, महागठबंधन को नुकसान
2020 में NDA को 125 सीटें मिली थीं। इस बार 20 से 35 सीटों तक का फायदा होने की संभावना है।
- JDU इस बार 59 से 68 सीटों तक पहुंच सकती है (16–25 सीटों का फायदा)।
- BJP 72 से 82 सीटों के बीच रह सकती है, जबकि 8 सीटों पर कड़ी टक्कर जारी है।
- LJP(R) को 4–5 सीटें, HAM को 4–5 सीटें मिल सकती हैं, वहीं RLM का खाता खुलना मुश्किल दिख रहा है।
दूसरी ओर, महागठबंधन को भारी नुकसान के संकेत हैं।
- RJD को 12–24 सीटों का नुकसान हो सकता है।
- कांग्रेस सिर्फ 12–15 सीटों पर आगे है।
- VIP और लेफ्ट दल सीमित प्रभाव में सिमटते नजर आ रहे हैं।
कुल मिलाकर महागठबंधन की सीटें 73 से 90 के बीच रह सकती हैं।
🔹 प्रशांत किशोर की जन सुराज और ओवैसी की AIMIM सीमित प्रभाव में
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी कुछ सीटों पर कड़ा मुकाबला दे रही है और 2 सीटों पर खाता खुलने की संभावना जताई जा रही है।
AIMIM सिर्फ एक सीट तक सिमट सकती है।
🔹 कई VIP सीटों पर कड़ी टक्कर
लखीसराय (विजय सिन्हा), अलीनगर (मैथिली ठाकुर), महुआ (तेजप्रताप यादव), दानापुर (रामकृपाल यादव) और तारापुर (सम्राट चौधरी) जैसी सीटों पर कड़ा मुकाबला जारी है।
🔹 NDA को चिराग और कुशवाहा का साथ मिला फायदा
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार NDA को चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के जुड़ने से बड़ा सामाजिक संतुलन मिला है।
JDU को कुशवाहा और EBC वोट का फायदा हो रहा है।
चिराग पासवान की वापसी से दलित वोट बैंक NDA के पक्ष में मजबूती से खड़ा है।
🔹 महिला वोट NDA के पक्ष में
नीतीश कुमार की महिलाओं के लिए चल रही योजनाएं इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
1.21 करोड़ महिलाओं को ₹10-10 हजार की सहायता योजना ने ग्रामीण वोट बैंक पर बड़ा असर डाला है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह योजना करीब आधे मतदाता वर्ग को प्रभावित कर चुकी है।
🔹 नीतीश पर एंटी-इनकम्बेंसी नहीं, योजनाओं ने बनाई लहर
20 साल सत्ता में रहने के बावजूद नीतीश कुमार के खिलाफ कोई बड़ा असंतोष नहीं दिख रहा।
वोटिंग प्रतिशत में हुई बढ़ोतरी को प्रो-इनकम्बेंसी संकेत माना जा रहा है।
125 यूनिट फ्री बिजली, महिलाओं को कैश ट्रांसफर और जीविका दीदी नेटवर्क जैसी योजनाएं नीतीश के पक्ष में गई हैं।
🔹 महागठबंधन में समन्वय की कमी
कई सीटों पर कांग्रेस, RJD और लेफ्ट दलों के बीच फ्रेंडली फाइट की स्थिति रही, जिससे वोट बंटा है।
कांग्रेस कमजोर कड़ी साबित होती दिख रही है — खराब टिकट वितरण और नेतृत्व के अभाव ने असर डाला।
VIP भी इस बार अपने अस्तित्व की लड़ाई में है।
🔹 RJD की पुरानी छवि और MY समीकरण
RJD अब भी “जंगलराज” की पुरानी छवि से बाहर नहीं निकल पाई है।
हालांकि मुस्लिम-यादव वोट बैंक महागठबंधन के साथ स्थिर है, पर बाकी वर्गों में NDA को बढ़त मिली है।
🔹 मोदी फैक्टर अब भी मजबूत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अब भी बरकरार है।
NDA के वोट बैंक में मोदी की छवि निर्णायक भूमिका निभा रही है।
जन सुराज पार्टी सोशल मीडिया पर चर्चा में है, लेकिन ग्राउंड पर सीमित असर दिख रहा है।
🔹 निचोड़
कोसी टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार,
- NDA को इस बार स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना है।
- JDU और BJP दोनों का प्रदर्शन बेहतर रहेगा।
- महागठबंधन में अंतर्विरोध, कमजोर समन्वय और कांग्रेस-VIP की नाकामी नुकसान का कारण बन रही है।
- नीतीश कुमार की योजनाएं और महिला वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं।



