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मुरहो के आशीष ने पटना विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर बढ़ाया जिले का मान - Kosi Times
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    पटना/ मानव जब जोड़ लगाता है तो पत्थर पानी बन जाता है- रामधारी सिंह दिनकर का यह पंक्ति बिहार के मधेपुरा जिले के मुरहो गांव के बी. पी. मंडल पर सटीक बैठता है। बी. पी. मंडल ने पिछड़ा आयोग का अध्यक्ष बनकर और आरक्षण लागू करके भारतीय राजनीति में जो लकीर खींची है, वह आज


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    पटना/ मानव जब जोड़ लगाता है तो पत्थर पानी बन जाता है- रामधारी सिंह दिनकर का यह पंक्ति बिहार के मधेपुरा जिले के मुरहो गांव के बी. पी. मंडल पर सटीक बैठता है। बी. पी. मंडल ने पिछड़ा आयोग का अध्यक्ष बनकर और आरक्षण लागू करके भारतीय राजनीति में जो लकीर खींची है, वह आज भी छोटी नहीं हुई है। उसी गांव के आशीष कुमार ने पटना विश्वविद्यालय, पटना से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करके अपने परिवार और समाज का नाम रौशन किया है।

    जानकारी हो कि आशीष कुमार के पिताजी नारायण प्रसाद यादव पेशे से शिक्षक रहे हैं और उनके दादाजी श्रद्धेय दुनिलाल प्रसाद मंडल जो समाजसेवी थे और बी. पी. मंडल के करीबी में से एक थे। अपने दादाजी और पिताजी के बताये मार्ग का अनुसरण करते हुए आशीष कुमार ने शिक्षा की दीपक को जलाये रखा और मन में समाज सेवा का भाव भी बरकरार रखा और आज उसी का परिणाम है कि पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग से उन्होंने पीएचडी की डिग्री उपाधि प्राप्त की जिस विभाग में के. के. दत्त, रामशरण शर्मा और रामधारी सिंह दिनकर जैसे राष्ट्र कवि और इतिहासकार रहे है।

     

    शोध एक कठिन कार्य है। इस कार्य को करने में शोध छात्र को कई बार कठिन से कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है और ऐसे समय में शोध निर्देशक की बड़ी भूमिका होती है। आशीष कुमार ने भी अपने शोध कार्य को सफल बनाने में अपने शोध निर्देशक प्रो. दिनेश प्रसाद कमल की मार्गदर्शन को आत्मसात किया और अपने शोध को एक दिशा देने का प्रयास किया, यही वज़ह है कि ‘पर्यावरण और गाँधी के विचार: एक ऐतिहासिक अध्ययन ‘ विषय को पूर्ण करके एक शोध के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा है। आज जब वैश्विक पटल पर पर्यावरण को लेकर अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठन कार्यरत हैं और भावी संकट पर चिंतन मनन कर रहे हैं, ऐसे समय में महात्मा गाँधी का पर्यावरण पर विचार उनकी इस बढ़ती चिंता कम करने में अहम भूमिका निभा सकती है। इस दृष्टिकोण से भी इस शोध का ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व है।

    बताते चलूँ कि आशीष कुमार के प्रथम शोध निर्देशिका पटना विश्वविद्यालय, पटना के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्षा प्रो. डेजी बनर्जी रही हैं जो अब इस दुनिया में नहीं है। आशीष कुमार ने अपने शोध प्रबंध उन्हें भी समर्पित किया है।

     

    आशीष कुमार के ‘विद्या वाचस्पति की उपाधि’ की प्रस्तुति के समय विभिन्न विभाग के विभागाध्यक्ष, डीन, प्रोफेसर आदि उपस्थित रहे, जिनमें – प्रो0(डॉo) दिनेश प्रसाद कमल, (पूर्व विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग,पटना) ,डॉ0 दीप्ती तिवारी , (विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग पटना विश्वविद्यालय), पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 रणविजय कुमार, प्रो0 रंजन सिन्हा, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 सुरेंद्र कुमार, वर्तमान प्रो0(डॉ0) अभय कुमार, (PUTA अध्यक्ष पटना विश्वविद्यालय,पटना), प्रो अनिल कुमार (DSW) प्रो0 अर्जुन कुमार,(Head Department of English,PU), प्रो0 सतेन्द्र कुमार,(PUTA महासचिव), विभाष रंजन , प्रो0 रणधीर कुमार (विभागाध्यक्ष रसायनशास्त्र विभाग पटना साइंस कॉलेज,पटना) प्रो. विद्यानंद विधाता (इतिहास विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना ), डॉ. अमित रंजन बिराजी, ,प्रो0 संजय कुमार (उप कुलसचिव PU), प्रो0 मनोज सिन्हा, (कुलानुशासक PU), प्रो0 बी के लाल , डॉ0 सतीश कुमार, पोस्ट डॉ0 अमित राज, पोस्ट डॉ0 अकल राम , डॉ0 दीपिका, सतीश भैया , बंगला विभाग के सभी प्रो0, डॉ0 राजेश ,डॉ0 संतु , डॉ0 अविनाश कुमार, विभागाध्यक्ष पटना कॉलेज, पटना, डॉ0 माया नन्द,डॉ0 स्वेता, डॉ0 नेहा रंजन, डॉ0 अशरफ , डॉ0 लालकृष्ण,राजवीर, शशिकांत , सत्यम,अनील कुमार ,कृष्णा ,कुमार ,मोतीलाल ,राजकिशोर भाई, रामशरण बाबू , राजू भाई, शंकर जी, कर्मवीर,सौरव,अमित, शोध छात्र भोलेन्द्र, शशिकांत, सत्यम, शरद, आदि कई गणमान्य प्रमुख है।

    आशीष कुमार शुरुआत से मेधावी छात्र रहे हैं। उन्होंने युजीसी नेट जेआरएफ की परीक्षा भी उत्तीर्ण किया । उन्होंने कई शोध पत्र भी लिखें हैं। आभार के क्रम में उन्होंने इस उपलब्धि का सारा श्रेय अपने माता पिता, गुरुजनों, अग्रज, अनुजों और अपने परिवार, सगे संबंधी, अपने समाज आदि को दिया है।

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