सिंहेश्वर, मधेपुरा/ महादेव की नगरी सिंहेश्वर धाम में शिवमहापुराण कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा बाबा ने बाबा सिंहेश्वरनाथ का स्मरण करते हुए उनका बखान किया. कथा स्थल पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि श्री शिव महापुराण 24 हजार श्लोकों का महासागर है. हर श्लोक और हर अक्षर में शिव का वास है. उन्होंने कहा कि अगर पूरा पुराण आत्मसात न कर सकें तो कुछ श्लोक या अक्षर ही जीवन में उतार लें. यही महादेव को हृदय में बसाने का मार्ग है.
उन्होंने कहा कि देवाधिदेव महादेव इस लोक में साक्षात विराजमान हैं. ऐसा कोई देवता नहीं, जो केवल एक लोटा जल से प्रसन्न हो जाए. शिव ही ऐसे देव हैं जो सच्चे मन से पुकारने पर कृपा बरसाते हैं. यह वही भूमि है जिसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने तप और साधना के लिए चुना था. उन्होंने कहा कि श्रृंगी ऋषि और महर्षि दधीचि की तपोभूमि पर कथा करना सौभाग्य की बात है. यहां की पवित्रता को देखकर लगता है कि 33 कोटि देवता स्वयं विराजमान हैं. कथा स्थल पर पंडित ने ओम नमः शिवाय और हर हर महादेव के जयकारों के साथ कथा की शुरुआत की.
उन्होंने कहा कि अगर बिहार में शिव कथा होनी है तो वह सिंहेश्वर नाथ की धरती से ही होनी चाहिए. उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि यह कथा कोई साधारण आयोजन नहीं है बल्कि शिव की कृपा का प्रतीक है. पंडित मिश्रा ने सिंहेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास बताते हुए कहा कि यह मंदिर हजारों साल पुराना है. यहां आने वाला हर भक्त खाली नहीं लौटता. उन्होंने कहा कि कृष्ण, मां दुर्गा या अन्य देवी- देवताओं के मंदिर में नियमों का पालन जरूरी होता है. लेकिन शिव को केवल एक लोटा जल चढ़ाने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं. इसी कारण शिव को समाधान का देवता कहा जाता है. कथा के तीसरे दिन मंदिर परिसर में भक्ति और श्रद्धा का माहौल बना रहा.
उन्होंने कहा कथा के बाद शिव की पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए. मंदिर में एक लोटा जल चढ़ाते ही शिव की दृष्टि पड़ती है. आत्मा का श्रृंगार शिव के लिए होता है जबकि शरीर का श्रृंगार दुनिया के लिए शिव की विशेष पूजा होती है. शिव मंत्रों का जाप करने से डर दूर होते हैं. विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं. शिव के 108 नामों का जाप करना चाहिए. चावल, दूध, दही का दान करने से मानसिक स्थिति मजबूत होती है. महादेव की कृपा प्राप्त होती है. शिव और पार्वती की कथा प्रेम, शक्ति और संतुलन का प्रतीक है. पार्वती ने कठोर तप कर शिव को पति रूप में पाया. शिव अमर हैं पार्वती शक्ति की देवी हैं. दोनों की जोड़ी तपस्या और भक्ति का संतुलन दिखाती है. मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी शिव का साथ मिलता है. गर्भ संस्कार के दौरान शिव मंत्रों का जाप किया जाता है. इससे मां और शिशु दोनों को आशीर्वाद मिलता है.

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कहा भगवान शिव की दृष्टि संसार में रहने के लिए जरूरी मानी जाती है. उनकी कृपा से जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है. पारिवारिक जीवन में भी शांति आती है. शिव की तीसरी आंख विवेक और ज्ञान का प्रतीक है. इससे सही निर्णय लेने की शक्ति मिलती है. घर के गेट पर ‘श्री शिवाय नमस्तुभयं’ लिखने से शिव की कृपा मिलती है. माना जाता है कि इससे घर की रक्षा होती है. दुःख- दर्द दूर होते हैं. कुछ लोग शिव की तस्वीर भी गेट पर लगाते हैं. आत्मा का श्रृंगार शिव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. यह भक्ति, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है. शिव को जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं. पूजा स्थल को साफ और पवित्र रखना चाहिए. मन को शांत और केंद्रित रखना जरूरी हशिव की भक्ति से जीवन में सकारात्मकता और संतोष आता है. आत्मा का श्रृंगार शिव भक्ति का सबसे बड़ा प्रतीक आत्मा का श्रृंगार भगवान शिव के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. यह श्रृंगार केवल बाहरी वस्तुओं से नहीं होता. यह मन, भाव और कर्मों से होता है. शिव की पूजा करते समय मन शांत और एकाग्र रखना जरूरी है. उनकी कृपा पाने के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करनी चाहिए.
कहा पूजा स्थल को साफ और पवित्र रखना चाहिए. भगवान शिव को जल, बेलपत्र, भांग और धतूरा जैसी प्रिय वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए. यह सब आत्मा के श्रृंगार का हिस्सा है. शिव भक्ति में बाहरी सजावट से ज्यादा आंतरिक भावों का महत्व होता है. भगवान शिव की कृपा से मिलती है सफलता और शांति-
भगवान शिव की दृष्टि जीवन में सफलता और सुख का मार्ग दिखाती है. कहा धार्मिक मान्यता है कि शिव की कृपा से व्यक्ति को सही दिशा मिलती है. वह अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकता है. हिंदू धर्म में भगवान शिव ब्रह्मांड के संचालन और सभी प्राणियों के कल्याण के लिए उत्तरदायी माने जाते हैं.
कहा कुछ लोगों का मानना है कि शिव की दृष्टि से जीवन का सही अर्थ समझ में आता है. व्यक्ति विवेक और ज्ञान से भरे निर्णय ले पाता है. भगवान शिव को त्रिनेत्रधारी कहा जाता है. उनकी तीसरी आंख विवेक, ज्ञान और अंतर्दृष्टि का प्रतीक है. यह व्यक्ति को सही निर्णय लेने में मदद करती है. शिव की शिक्षाएं पारिवारिक, वैवाहिक और सामाजिक जीवन में मार्गदर्शन करती हैं. शिव की कृपा से पारिवारिक जीवन में शांति और खुशहाली आती है. उनके दर्शन और भक्ति से जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है. व्यक्ति को संतुष्टि और मानसिक शांति मिलती है. भगवान शिव ने अपने उपदेशों में सफलता और समृद्धि के सूत्र बताए हैं.
उन्होंने कहा कि नियमों और सिद्धांतों का पालन जरूरी है. अपने कार्यों पर नियंत्रण रखना चाहिए. शिव की भक्ति से व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से मजबूत होता है. जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है. भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवता हैं. उन्हें विनाश और पुनर्जन्म का देवता माना गया है. वे भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं और उन्हें सुख- शांति प्रदान करते हैं.
महाशिवपुराण कथा सुनने से मिलती है शिव की कृपा-
महाशिवपुराण कथा का श्रवण करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. यह कथा शिव के गुणों, उनके अवतारों और भक्तों के जीवन प्रसंगों का वर्णन करती है. कथा सुनने से जीवन में सुख, शांति और सफलता मिलती है. कथा से रोगों से मुक्ति मिलती है. स्वास्थ्य में सुधार होता है. व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है. मोक्ष की प्राप्ति में भी यह कथा सहायक मानी जाती है. कथा के दौरान भक्त को शिव भक्ति में लीन रहना चाहिए. मन में सकारात्मक सोच रखनी चाहिए. कोई गलत कार्य नहीं करना चाहिए. कथा के बाद शिव की पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए. कथा के एक प्रसंग में जानकी जी शोक में डूबी थीं. वे विचलित थीं. चिंतित थीं. स्वामी श्रीराम का कोई पता नहीं था. हनुमान जी ने यह देखकर विचार किया कि जानकी जी के संकट को दूर करने का और कोई उपाय नहीं है.