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  • अंगिका कविता:-कौवा कांव-कांव करै छै

    *🦅 कौवा 🦅* कौवा कांव-कांव करै छै नय केकरोँ स’ डरै छै करका-करका रंग वाला छै ई बहुते मतवाला। खाना देखी चिल्लावै छै। मिलथैं लुचकी भागै छै। भोर होते छज्जा प’ आवीं कांव-कांव करी रिसियावै छै। माय कहै छय हे भगवान, आबै वाला छै मेहमान। हम्मँ उड़ावौं जखनी हेकरा उल्टे नाची देखावै शान। कभियोँ हिन्न’,कभियोँ


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    *🦅 कौवा 🦅*
    कौवा कांव-कांव करै छै
    नय केकरोँ स’ डरै छै
    करका-करका रंग वाला
    छै ई बहुते मतवाला।

    खाना देखी चिल्लावै छै।
    मिलथैं लुचकी भागै छै।
    भोर होते छज्जा प’ आवीं
    कांव-कांव करी रिसियावै छै।

    माय कहै छय हे भगवान,
    आबै वाला छै मेहमान।
    हम्मँ उड़ावौं जखनी हेकरा
    उल्टे नाची देखावै शान।

    कभियोँ हिन्न’,कभियोँ हुन्न’
    घुरै पाछू जिन्न’-तिन्न’।
    श्राद्धोँ में त’ नय कम नखरा
    जेरोँ बान्हीं पहुँचै खुन्न’।

    बच्चां राखै होकरो ध्यान।
    सोचीआशीष देतै भगवान।

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