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परिवहन विभाग की लापरवाही का नमूना: थाना में खड़ी स्कॉर्पियो पर मोतिहारी में ओवरस्पीडिंग का कट गया चालान - Kosi Times
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  • परिवहन विभाग की लापरवाही का नमूना: थाना में खड़ी स्कॉर्पियो पर मोतिहारी में ओवरस्पीडिंग का कट गया चालान

    मधेपुरा/सिंहेश्वर – बिहार परिवहन विभाग की लापरवाही एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला है सिंहेश्वर प्रखंड के जजहट सबैला के रहने वाले संतोष कुमार की स्कॉर्पियो (BR 43 P 7950) का, जो पिछले 28 दिनों से दुर्घटना के बाद थाना में खड़ी है – लेकिन हैरत की बात यह है कि उसी


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    मधेपुरा/सिंहेश्वर – बिहार परिवहन विभाग की लापरवाही एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला है सिंहेश्वर प्रखंड के जजहट सबैला के रहने वाले संतोष कुमार की स्कॉर्पियो (BR 43 P 7950) का, जो पिछले 28 दिनों से दुर्घटना के बाद थाना में खड़ी है – लेकिन हैरत की बात यह है कि उसी गाड़ी पर मोतिहारी में तेज रफ्तार से चलने के आरोप में ₹2000 का चालान काटा गया है!

    और तो और, पोर्टल खोलने पर यह खुलासा भी हुआ कि अगस्त 2024 में भी इसी गाड़ी पर पटना में नियम उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाया गया था – जबकि उस समय भी गाड़ी मधेपुरा में थी।

    फर्जी चालान या फर्जी नंबर प्लेट?

    पीड़ित वाहन मालिक संतोष कुमार का कहना है, “या तो विभाग का सिस्टम खराब है या फिर किसी ने मेरी गाड़ी का नंबर प्लेट कॉपी कर लिया है।” उनका गुस्सा जायज है – क्योंकि ऐसी गलती से आम आदमी की न केवल जेब पर मार पड़ती है, बल्कि मानसिक रूप से भी वह परेशान होता है।

    कागज घिसो, दौड़ लगाओ और ऊपर से जुर्माना भरो!

    संतोष कुमार ने बताया कि फर्जी चालान की शिकायत करने में उन्हें चालान की रकम से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। उन्होंने जिला परिवहन कार्यालय, पटना ट्रैफिक एसपी, मोतिहारी एसपी और सिंहेश्वर थाना तक मेल कर शिकायत की है। लेकिन उन्हें अब भी राहत नहीं मिली है।

    अधिकारियों की ‘साफ-साफ’ सफाई

    • थानाध्यक्ष, सिंहेश्वर, बिरेंद्र कुमार ने पुष्टि की कि दुर्घटना के बाद वाहन थाना में ही है, चालान कैसे हुआ – ये विभाग की बात है।
    • जिला परिवहन पदाधिकारी, मधेपुरा, निकिता कुमारी का कहना है, “संभवतः गाड़ी पहले कभी मोतिहारी गई होगी और उसी समय डेटा कैप्चर हुआ होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि करेक्शन मोतिहारी ऑफिस से ही होगा।

    गाड़ी खड़ी है, सिस्टम दौड़ रहा है!

    यह मामला बिहार के परिवहन विभाग की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। जब एक थाने में खड़ी गाड़ी पर फर्जी चालान हो सकता है, तो आम लोगों को रोज किन-किन झूठे चालानों का सामना करना पड़ता होगा – इसकी कल्पना भी डरावनी है।


     

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