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विश्व पुस्तक दिवस पर जिले के दोनों केंद्रीय पुस्तकालयों की लचर व्यवस्था पर एआईएसएफ ने लिया संज्ञान - Kosi Times
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  • विश्व पुस्तक दिवस पर जिले के दोनों केंद्रीय पुस्तकालयों की लचर व्यवस्था पर एआईएसएफ ने लिया संज्ञान

    मधेपुरा/विश्व पुस्तक दिवस हमें पुस्तकों की दुनिया के उस महत्व से जोड़ने का काम करता है जो जीवन पथ पर हर चुनौतियों का समाधान ही नहीं देती बल्कि बाल, छात्र, युवा पीढ़ी को ज्ञानवान,चरित्रवान, संस्कारित बनाने का अमूल्य योगदान भी प्रदान करती  है।इस अवसर पर पुस्तकों से जुड़े बिंदुओं पर विमर्श का अवसर भी प्राप्त


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    मधेपुरा/विश्व पुस्तक दिवस हमें पुस्तकों की दुनिया के उस महत्व से जोड़ने का काम करता है जो जीवन पथ पर हर चुनौतियों का समाधान ही नहीं देती बल्कि बाल, छात्र, युवा पीढ़ी को ज्ञानवान,चरित्रवान, संस्कारित बनाने का अमूल्य योगदान भी प्रदान करती  है।इस अवसर पर पुस्तकों से जुड़े बिंदुओं पर विमर्श का अवसर भी प्राप्त होता  है।विद्वानों की मानें तो पुस्तकें ज्ञान,मनोरंजन व अनुभव की अमिट स्याही है।  उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ की ओर से सभी पुस्तक प्रेमियों को विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक बधाई देते संगठन के राष्ट्रीय परिषद सदस्य सह बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कही।

    उन्होंने कहा कि मधेपुरा के संदर्भ में यह दुखद है कि जिला मुख्यालय में अनगिनत शिक्षण संस्थान सहित स्थापना का तीन दशक गुजार चुका  विश्वविद्यालय है लेकिन एक भी समृद्ध पुस्तकालय अदद उपलब्ध नहीं है।रेड क्रॉस सोसायटी के समीप जिला का सबसे पुराना केंद्रीय पुस्तकालय भूली बिसरी यादों का हिस्सा मात्र बन कर रह गया  है।जिला प्रशासन की सजगता नहीं होने के कारण वहां की व्यवस्था जहां  लचर है वहीं अच्छी पुस्तकों व समसामयिक पत्रिकाओं का टोटा है। एक कटु सत्य तो यह भी है कि वर्तमान पीढ़ी व आम लोगों में अधिकांश को पता भी नहीं है कि मधेपुरा का कोई अपना आधिकारिक केंद्रीय पुस्तकालय भी है।

    दूसरी तरफ लगभग एक दशक पहले बना बीएनएमयू के पुराने परिसर में स्थित केंद्रीय पुस्तकालय की कुव्यवस्था पर तंज कसते एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि बीएनएमयू का केंद्रीय पुस्तकालय कम मीटिंग हॉल के रूप  में चर्चा बटोरने लगा  है ।पुस्तकालय की अधिकांश किताबें ऐसी जो छात्रों के किसी काम कि नहीं।विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय होने के बाद भी अंग्रेजी ,उर्दू के जहां दैनिक पत्र नहीं आते वहीं पत्रिकाओं की चर्चा ही न हो तो बेहतर।इच्छुक छात्रों के अध्यन के लिए जरूरी व्यवस्था भी नहीं है।सब बात से उपर अभी तक पुस्तकालय को स्थाई पुस्तकालय अध्यक्ष नहीं मिल पाया।किताबों की सूची और रख रखाव का स्तर भी संतोषजनक नहीं है।

    इस संबंध में एआईएसएफ नेता राठौर ने विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर बीएनएमयू कुलपति व मधेपुरा जिला पदाधिकारी को पत्र लिख एआईएसएफ की चिंता से अवगत कराते हुए विश्वविद्यालय व जिला प्रशासन को अपने अपने क्षेत्र के केंद्रीय पुस्तकालय की उपयोगिता को बढ़ाने व जरूरी सुविधा बहाल करते हुए इसे समृद्ध करने पर बल देने की मांग की है।राठौर ने कहा कि जिला प्रशासन व बीएनएमयू प्रशासन अगर इस क्षेत्र में ईमानदार पहल कर सका तो इस क्षेत्र में शैक्षणिक  माहौल बनाने में यह युगांतकारी साबित होगा।

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