मधेपुरा। महर्षि मेंही नगर वार्ड संख्या-5 स्थित संतमत सत्संग मंदिर में 22 सितम्बर से 24 सितम्बर तक त्रिदिवसीय ध्यानाभ्यास शिविर का आयोजन हुआ। विजयादशमी के पावन अवसर पर आयोजित इस शिविर में सैकड़ों साधकों ने भाग लेकर मन-एकाग्रता और ध्यान की साधना की।
शिविर में प्रतिदिन पाँच सत्र आयोजित किए गए। सुबह 3 से 4 बजे, 6 से 7 बजे, 10 से 11 बजे तथा संध्या 2 से 3 बजे और 6 से 7 बजे तक साधकों ने ध्यानाभ्यास किया।

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शिविर के मंच संचालन का दायित्व निभाते हुए सेवानिवृत्त शिक्षक शिव नारायण साह ने कहा कि “मानव कल्याण के लिए मन की एकाग्रता आवश्यक है और यह ध्यान योग एवं सत्संग से ही संभव है।”
अखिल भारतीय संतमत के पूर्व महामंत्री प्रो. विन्देश्वरी प्रसाद यादव ने कहा कि “अनियंत्रित मन ही हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। संत और साधारण व्यक्ति में यही फर्क है कि संत अपने मन पर शासन करते हैं जबकि सामान्य जन मन के वश में रहते हैं। काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार जैसे दुर्गुण हमें आंतरिक शांति से वंचित करते हैं। इसलिए ध्यान की साधना ही मन को वश में करने का एकमात्र उपाय है और यह सद्गुरु की कृपा से ही संभव है।”
शिविर में डॉ. वैद्यनाथ लाल दास ने प्रवचन दिया और आयोजन में रामचंद्र प्रसाद यादव, अधिवक्ता गणेश गुप्ता, संजय कुमार, अधिवक्ता सोहन लाल गुप्ता, देवांशु, कला, विभा, पुष्पा, विमला निरंजना, आशा, अंशुरानी, मधु, प्रेमलता, नीलम तथा इंजीनियर श्याम देव समेत कई श्रद्धालुओं ने सक्रिय भूमिका निभाई।
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