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आर्थिक तंगी और लम्बी बीमारी से परेशान होकर मेडिकल कॉलेज में मरीज ने किया आत्महत्या

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मधेपुरा/ जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक मरीज है एस-4 बिल्डिंग के 5 में तले पर रेलिंग से लटक कर आत्महत्या कर ली। मरीज बीते 16 दिनों से अस्पताल में भर्ती था। मृतक का नाम मुन्ना चौधरी (41) बताया जा रहा है जो सुपौल जिला के पिपरा थाना क्षेत्र अंतर्गत थूमहा गावँ के निवासी थे। वे लंबे समय से डायबिटीज से पीड़ित थे।

बार-बार बेहोश हो रही मुन्ना की पत्नी नीलम देवी ने बताया कि चार साल से वे घर पर बैठे थे कुछ काम नही हो पा रहा था, 60 हजार का कर्ज हो गया था बेटी के शादी की चिंता थी।

अपने पीछे वह 2 बच्ची और पत्नी को छोड़ गया है। पिछले 16 दिनों से वो मेडिकल कॉलेज में भर्ती था ।डायबिटीज सहित कई अन्य बीमारी से वह ग्रसित था। पत्नी नीलम देवी ने बताया कि “अपने बीमारी से वह तंग था और कोरोना वायरस में से किसी भी तरह के काम नहीं करने के कारण आर्थिक तंगी से भी जूझ रहा था और करीब ₹60000 उसके ऊपर कर्ज का भी बोझ था” ।

भाई अशोक चौधरी कहते हैं कि ” मुन्ना भैया बार-बार कहते थे मेरे बेटी का शादी तो तुम करवा दोगे ना, मेरे घर का तुम ख्याल रखोगे ना, भाभी का भी ध्यान रखना ।”वह बताते हैं कि अभी कल भी वह इस तरह की बातें किए थे जिसके बाद उसने उसे खूब समझाया था और कहा था खुदकुशी करना किसी भी समस्या का हल नहीं है खुदकुशी बुजदिल लोग करते हैं “। वह बताते हैं कि “इससे पूर्व दिल्ली में इलाज के दौरान भी वह खुदकुशी का कोशिश किया था हालांकि उस बार वह नहीं कर पाए थे और उसे रोक लिया गया था ।”

भाई अशोक चौधरी बताते हैं कि “वह करीब 15 -16 वर्षों से बीमार थे रविवार के दिन भी वह सब कुछ सामान्य बताते हैं।” ” कहते हैं कि संध्या में बहुत जिद कर उसे आधी रोटी तो खिलाया था लेकिन उसके जेहन में बस बेटी की शादी और कर्ज का बोझ हमेशा चलते रहता था”

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मृतक मुन्ना चौधरी कबार की व्यवसाय किए थे जो कोरोना काल में बर्बाद हो गया। व्यवसाय वह कर्ज लेकर शुरू किया था उसी समय एक ऑटो भी खरीदा था जिसको लेकर वह दैनिक दिनचर्या शुरू किया लेकिन कोरोना में ऑटो भी नहीं चल पाया जिस कारण वह लगातार घर में ही बैठा रहा उसके बाद उसका कर्ज का बोझ बढ़ता चला गया और जिंदगी से वह तंग सा रहने लगा। मेडिकल कॉलेज में उसकी सामान्य तरीके से इलाज चल रही थी चिकित्सकीय परामर्श व इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही से उनके परिजनों ने इनकार किया है।

भाई अशोक चौधरी बताते हैं कि “मृतक मुन्ना चौधरी के एकमात्र संतान थे जो आज से 4 वर्ष पूर्व स्कूल में बच्चों के साथ आपसी झगड़े में मौत के शिकार हो गए ।” बताते हैं कि उसके पुत्र जिस स्कूल में पढ़ते थे वहां छात्रों के साथ उनका भिड़ंत हो गया और बाद में स्कूली बच्चों ने ही उसे मारकर नदी में फेंक दिया था परिवार में उसकी दो बेटी है जिसकी उम्र करीब 20 – 21 साल रही होगी ।

मृतक मुन्ना चौधरी बिहार के सुपौल के थुमहा गांव का रहने वाला है ।परिवार में मृतक तीन भाई थे जिसमें यह सबसे बड़े थे ।भाई अशोक चौधरी बताते हैं कि “छोटा वाला भाई मधेपुरा में रहते हुए भी इनसे मिलने नहीं आया इसका भी दुख इन्हें था।” मृतक का छोटा भाई मधेपुरा में ई रिक्शा चला कर अपना जीवन यापन करता है ।

देशभर में कोरोनावायरस का प्रसार थम सा जरूर गया है लेकिन इससे बर्बादी के शिकार हुए लोग अभी काल के गाल में समा रहे हैं। मधेपुरा में आज 40 वर्षीय मुन्ना चौधरी भी उसी कोरोना की मार झेलते हुए अपनी इहलीला को समाप्त कर लिया ।लंबी बीमारी और बढ़ते कर्ज का बोझ उसे हर दिन डस रहा था जिस कारण उसने आज मौत को गले लगा लिया ।

पत्नी नीलम देवी बार-बार यह कहकर बेसुध हो जा रही थी कि “अब दोनों बेटी की शादी कैसे होगी और उसने जो व्यवसाय के लिए कर्ज लिया था वह कर्ज कैसे टूटेगा” पत्नी बताती है कि ऑटो भी उसने कर्ज लेकर है लिया था ।

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