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ढाई सौ वर्ष पुराना है चौसा का काली मंदिर,श्रद्धालुओं की हर मनोकामना होती है पूर्ण - Kosi Times
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  • ढाई सौ वर्ष पुराना है चौसा का काली मंदिर,श्रद्धालुओं की हर मनोकामना होती है पूर्ण

    चौसा प्रखंड मुख्यालय स्थित सार्वजनिक काली मंदिर का इतिहास वर्षो पुराना है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। ढाई सौ वर्ष पुराने इस मंदिर की महिमा अपरंपार है।चौसा ही नहीं बल्कि दूर दराज के श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का केंद्र है।इस स्थायी काली मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों लोग मां काली की


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    संजय कुमार सुमन
    साहित्यकार सह समाजसेवी

    चौसा प्रखंड मुख्यालय स्थित सार्वजनिक काली मंदिर का इतिहास वर्षो पुराना है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। ढाई सौ वर्ष पुराने इस मंदिर की महिमा अपरंपार है।चौसा ही नहीं बल्कि दूर दराज के श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का केंद्र है।इस स्थायी काली मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों लोग मां काली की पूजा अर्चना करने आते हैं।यह मान्यता है कि मां काली के शरण में आने वाले और सच्चे दिल से मन्नत करनेवाले भक्तों को कभी निराश नहीं करतीं।सभी की मनोकामनायें यहां पूर्ण होती हैं।

    क्या है काली मंदिर का इतिहास

    इस मंदिर का इतिहास ढाई सौ वर्ष पुराना है। चौसा वियावान बेचिरागी था। दूर-दूर तक जंगल ही जंगल नजर आता था। सोनू मंडल नामक एक श्रद्धालु ने जब अपने घर में काली मां की मूर्ति स्थापित की तो यह चर्चा दूर दूर तक फैल गई। बाद में चौसा के मड़र हरि पट्वे, उनके पुत्र सहदेव पटवे व अन्य लोगो की सहयोग से वहां पर झोपड़ी नुमा मंदिर बनाया गया और लोगों के द्वारा पूजा अर्चना शुरू किया गया। शुरुआती दौर में यहां पर बलि भी दी जाती थी। लेकिन 80 के दशक में एक बार ग्रामीणों द्वारा बली नही देने का फुलाइस करवाया गया। तभी से लेकर आज तक बलि नहीं दिया जाता है और बलि प्रथा को पूरी तरह से बंद करवा दिया गया।

    मुरादें पूरी होने पर भक्त बनवाते हैं प्रतिमा

    मां काली की प्रतिमा का निर्माण यहां व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। इसकी वजह है कि जब किसी की मनोकामना पूरी होती है तो वह खुशी से मां काली की प्रतिमा का निर्माण कराते हैं। मूर्ति निर्माण के लिए यहां भक्तों को वर्षो इंतजार करना पड़ता है। मूर्तिकार सोनू मंडल के परिजन भूमि मंडल, गणेश मंडल, शंकर मंडल के पूर्वज मूर्ति बनाते थे और पूजन करते थे। बाद में भगवान पंडित द्वारा मूर्ति का निर्माण कराया जाता था। श्री पंडित के निधन के बाद लौआलगान के युवा मूर्तिकार दिवाकर द्वारा मूर्ति का निर्माण किया जाता है।
    *क्या कहते हैं स्थानीय लोग*
    पूर्व मुखिया सूर्य कुमार पट्वे, श्रवण कुमार पासवान, पूर्व मुखिया प्रतिनिधि सचिन कुमार बंटी,डीलर संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार पासवान ने बताया कि आयोजित होने वाले काली पूजा समारोह की तैयारी अंतिम चरण में है। पूजा समिति द्वारा मंदिर का रंगारोहन किया जा रहा है और कृत्रिम लाइटों का उत्तम प्रबंध किया गया है। मेले के लिए विभिन्न प्रकार के झूले स्थल पर पहुंच गए हैं, जिससे बच्चों में काफी उत्साह है।इस पूजा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन सहित भव्य मेला का आयोजन किया जाएगा।पूजा कमिटी की अध्यक्षता में तैयारी शुरू है। गांव का भी माहौल पूरी तरह भक्तिमय बना हुआ है। पूजा सह भव्य मेला का आयोजन के लिए ग्रामीण भी पूरी तरह से उत्साहित हैं।

    (लेखक संजय कुमार सुमन लगातार विभिन्न विधाओं पर लिखते रहे हैं।राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों सम्मानों से सम्मानित हैं।)
    पता:-मंजू सदन चौसा
    पोस्ट-चौसा, जिला-मधेपुरा
    852213 बिहार
    मोबाइल-9934706179
    ई मेल[email protected]

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