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  • अंगिका कविता:हम्मे आँखो के काजर छियै

    हम्मे आँखो के काजर छियै ——————————— हम्मे आँखो के काजर छियै पलकों में बऽसी जैभों। नींद जौं हमरा आबी जाय त, नवका सपना सजैबै (सजयबै)। हम्मे आँखो के काजर छियै पलकों में बऽसी जैभों। साँसो के सरगम छिय हम्मे, साँसें – साँस में बसी जैभों। हदय स्पंदन करी के तोरा गाना नया सुनैभों। हम्मे आँखो


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    हम्मे आँखो के काजर छियै
    ———————————
    हम्मे आँखो के काजर छियै
    पलकों में बऽसी जैभों।
    नींद जौं हमरा आबी जाय त,
    नवका सपना सजैबै (सजयबै)।

    हम्मे आँखो के काजर छियै
    पलकों में बऽसी जैभों।

    साँसो के सरगम छिय हम्मे,
    साँसें – साँस में बसी जैभों।
    हदय स्पंदन करी के तोरा
    गाना नया सुनैभों।

    हम्मे आँखो के काजर छियै
    पलकों में बऽसी जैभों।

    साथ चलभों सब्भे दिन तोरोऽ
    पग- पग पर फूल बिछैभों ।
    अधरों से स्पर्शित होयके,
    हम्मे मुरली बनी जैयभों।

    हम्मे आँखो के काजर छियै
    पलकों में बऽसी जैभों।

    जीवन- तपती राहोऽ प,
    सब्भे दिन अंचरा बिछैभों।
    पाँव में पड़तै जो छाला तऽ
    हम्मे मरहम बनी जैयभों।

    हम्मे आँखो के काजर छियै
    पलकों में बऽसी जैभों।

    मन बंधन कभीयो नय टूऽटे
    ई विश्वास दिलाबै छियों।
    बस भरोसा करो हमरा प
    नया इतिहास बनैभों।

    हम्मे आँखो के काजर छियै
    पलकों में बऽसी जैभों।

    ✍🏻 संजय कुमार सुमन

    साहित्यकार

    मंजू सदन चौसा।

    मधेपुरा 852213

    📞 9934706179

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