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  • श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, मेले में उमड़ा जनसैलाब

    त्रिवेणीगंज ,सुपौल/ प्रखंड क्षेत्र में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे श्रद्धा, उत्साह और धूमधाम से मनाया गया। प्रखंड के दर्जनों गांवों और नगर परिषद क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना के साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मेलों का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सोमवार को अहले सुबह से ही


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    त्रिवेणीगंज ,सुपौल/ प्रखंड क्षेत्र में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे श्रद्धा, उत्साह और धूमधाम से मनाया गया। प्रखंड के दर्जनों गांवों और नगर परिषद क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना के साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मेलों का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

    सोमवार को अहले सुबह से ही श्रद्धालु विशेषकर महिलाएं और पुरुष मंदिरों में पहुँचने लगे और भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा-अर्चना कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। क्षेत्र में दिनभर भक्ति और उल्लास का वातावरण बना रहा। नगर परिषद क्षेत्र के डपरखा वार्ड संख्या 24 स्थित डपरखा मध्य विद्यालय के प्रांगण में आयोजित जन्माष्टमी मेला क्षेत्र का मुख्य आकर्षण बना रहा। यहाँ पर आकर्षक राधा-कृष्ण की प्रतिमा दर्शन और भजन संध्या का आयोजन रविवार रात किया गया। जहाँ भक्ति गीतों की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

    मेले में लगे विभिन्न दुकानों, झूलों और खेलों ने बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको आनंदित किया। दूधिया रोशनी से सजी साज-सज्जा और रंग-बिरंगी सजावट ने मेले की शोभा को और भी बढ़ा दिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, डपरखा मध्य विद्यालय परिसर में पिछले कई दशकों से यह मेला आयोजित किया जाता रहा है। यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक बन चुका है। मेले को देखने के लिए दूर-दराज के गांवों से भी लोग आते हैं।

    वही जन्माष्टमी के अवसर पर बच्चों और युवाओं के लिए खेलकूद प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई। जिसमें प्रतिभागियों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर पूजा-अर्चना करवा रहे पुरोहितों ने भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों और लीलाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण केवल एक देवता नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति, न्याय और नारी सम्मान के प्रतीक हैं। पूरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिरों और मेला स्थलों पर बनी रही। हर तरफ भक्तिमय गीत, प्रसाद वितरण और सांस्कृतिक आयोजनों की गूंज सुनाई दी, जिससे यह पर्व और भी भव्य बन गया।

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