मधेपुरा/ साहित्य वाचस्पति परमेश्वरी प्रसाद मंडल की 105वीं जयंती के अवसर पर वेद व्यास महाविद्यालय, मधेपुरा में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उनके साहित्यिक, सामाजिक और क्रांतिकारी योगदान को स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
परमेश्वरी बाबू का जीवन परिचय : परमेश्वरी प्रसाद मंडल का जन्म 01 अगस्त 1921 को मधेपुरा सदर से 10 किलोमीटर दक्षिण – पश्चिम गढ़िया (बालम) ग्राम में एक सामान्य गृहस्थ परिवार में हुआ था। उन्होंने 1945 में टी.एन.जे. कॉलेज, भागलपुर से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। सहरसा जिला कांग्रेस समिति के प्रथम अध्यक्ष के रूप में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें ढाई माह जेल में भी रहना पड़ा। बाद में वे टी.पी. कॉलेज, मधेपुरा में अतिरिक्त ग्रंथागारिक नियुक्त हुए और 1987-89 तक वेद व्यास महाविद्यालय के संस्थापक प्राचार्य रहे। 21 फरवरी 1997 को उनका निधन हुआ।
समारोह की अध्यक्षता प्रो. रामचंद्र प्रसाद मंडल ने की, जिन्होंने परमेश्वरी बाबू को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए वेद व्यास महाविद्यालय और टी.पी. कॉलेज सहित अन्य शिक्षण संस्थानों की स्थापना में उनके योगदान को रेखांकित किया। मंच संचालन प्रो. मणिभूषण वर्मा ने किया। शिक्षिका प्रेमलता और पूजा कुमारी ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया, जिसके बाद अतिथियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
मुख्य अतिथि प्रो. सचिंद्र (सेवानिवृत्त कुलसचिव) ने नई पीढ़ी से “मधेपुरा की आवाज बनने” का आह्वान किया। उन्होंने परमेश्वरी बाबू की विचारधारा को रेखांकित करते हुए सामंतशाही विरोध, शोषण उन्मूलन, नारी स्वतंत्रता, और मानवतावाद जैसे उनके मूल्यों पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि प्रो. भूपेंद्र मधेपुरी ने उनकी जीवनी लिखने और प्रकाशित करने की घोषणा की। टी.पी. कॉलेज के पूर्व प्राचार्य रामभजन बाबू ने परमेश्वरी बाबू को निर्भीक व्यक्तित्व वाला बताया और उनके विश्वविद्यालय बचाव अभियान की चर्चा की। प्रो. विनय चौधरी ने उनकी पुस्तकों के प्रचार-प्रसार की कमी पर चिंता जताई और नई पीढ़ी से उनकी रचनाओं को संरक्षित करने का आग्रह किया।

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इस अवसर पर प्रो प्रज्ञा प्रसाद ने कहा कि आज के परिपेक्ष्य में परमेश्वरी बाबू सर्वाधिक प्रासंगिक हो गए हैं समाज में व्याप्त तमाम विसंगतियों को दूर करने के लिए उनकी रचना को BNMU के सिलेबस में शामिल करना चाहिए। डॉ. आलोक कुमार ने परमेश्वरी बाबू की कविता संग्रह रुद्र वेणुका पर चर्चा करते हुए कहा कि 28 वर्ष बाद उनकी स्मृति में यह सभा आयोजित हुई, जो अब हर वर्ष होगी। पैक्स अध्यक्ष भूषण कुमार ने बताया कि पूर्व एमएलसी विजय कुमार बाबू ने उनके सम्मान में पुस्तकालय बनवाया।
शंभू शरण भारतीय ने परमेश्वरी बाबू को महान साहित्यकार और समाजसेवी बताते हुए उनके अकाल और बाढ़ पीड़ितों की सेवा के योगदान को याद किया। प्रसिद्ध गजलकार सियाराम प्रसाद मयंक ने कहा कि परमेश्वरी बाबू चलता फिरता पुस्तकालय थे वहीं कम्युनिस्ट नेता गणेश मानव ने कहा कि परमेश्वरी बाबू समाजवाद के आदर्श रूप थे। परमेश्वरी बाबू के पुत्र सोमनाथ यादव, वीरेंद्र यादव और धीरेंद्र यादव भी उपस्थित थे। बड़े पुत्र सोमनाथ यादव जी को कॉलेज प्राचार्य आलोक कुमार के द्वारा शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया। वीरेंद्र यादव ने उनके नाम पर 5 कट्ठा जमीन प्राथमिक विद्यालय बालम गढ़िया को दान करने की घोषणा की।
पूर्व मुखिया अनिल कुमार अनल, पैक्स अध्यक्ष वीरविजय, डॉ. अमलेश कुमार, संजय क्रांति, शशि यादव और संजीव यादव ने मधेपुरा आवास और बालम गढ़िया जाने वाले पथ का नामकरण “परमेश्वरी प्रसाद मंडल पथ” करने का सुझाव दिया। प्राचार्य डॉ. आलोक कुमार ने घोषणा की कि शीघ्र ही कॉलेज परिसर में परमेश्वरी बाबू की आदमकद प्रतिमा स्थापित की जाएगी और कॉलेज के मंच व तोरणद्वार का नामकरण उनके नाम पर होगा।
कार्यक्रम को सफल बनाने में PBL टीम लीडर प्रेमलता, पूर्व टीम लीडर संजय क्रांति, पूजा कुमारी, जटाशंकर कुमार, अविनाश कुमार, पिंटू कुमार, तनिष्का सिंह, अनामिका कुमारी और कवयित्री इंदु कुमारी की प्रमुख भूमिका रही। अंत में प्राचार्य डॉ. आलोक कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।