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  • मधेपुरा का पहला गजेटियर होगा खास, जिले को मिलेगी वृहद पहचान : राठौर

    मधेपुरा/ जिला बनने के चार दशक बाद मधेपुरा का अपना गजेटियर बनने का सपना अब साकार होता नजर आ रहा है।राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की अगुवाई में इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट ,रांची द्वारा इसको लेकर पहल शुरू करते हुए जरूरी सामग्रियों का संकलन शुरू कर दिया गया है। बी के एन सिंह ,शोधार्थी रमेश


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    मधेपुरा/ जिला बनने के चार दशक बाद मधेपुरा का अपना गजेटियर बनने का सपना अब साकार होता नजर आ रहा है।राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की अगुवाई में इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट ,रांची द्वारा इसको लेकर पहल शुरू करते हुए जरूरी सामग्रियों का संकलन शुरू कर दिया गया है। बी के एन सिंह ,शोधार्थी रमेश कुमार लगातार सामग्री संकलन हेतु अलग अलग स्तरों से प्रयास कर रहे हैं जिसके अंतर्गत बुद्धिजीवियों से मुलाकात,चर्चा,ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण,स्थानीय लोगों से चर्चा आदि शामिल है।इस कड़ी में टीम ने युवा साहित्यकार डॉक्टर हर्षवर्धन सिंह राठौर से मुलाकात कर अपेक्षित सहयोग की अपील की।

    सात जिलों के गजेटियर प्रकाशन में डेढ़ दर्जन अध्याय पर जारी है काम : टीम ने बताया कि उनके द्वारा मधेपुरा सहित पूर्णिया,कटिहार,अररिया,किशनगंज,सहरसा,सुपौल के गजेटियर प्रकाशन पर भी काम चल रहा है जिसके अंतर्गत लगभग डेढ़ दर्जन अध्याय के दर्जनों बिंदुओं पर काम शुरू हो चुका है। मधेपुरा के गजेटियर प्रकाशन को लेकर लगातार मुखर रहे डॉक्टर राठौर बताते हैं कि यह किसी भी जिला का आईना और उसको जानने का सर्वाधिक प्रमाणित दस्तावेज होता है जिसके सहारे सरकार को भी उस जिले के लिए विकास का प्रारूप तैयार करने में वृहद स्तर पर सुविधा व मार्गदर्शन मिलता है। जिला को अपना गजेटियर प्रकाशित करने को लेकर बिहार सरकार के राजस्व एवम् भूमि सुधार विभाग के विशेष सचिव ने वर्ष 2016 से ही डीएम को कई पत्र लिख प्रकाशन करवाने की मांग की,लेकिन उसको मूर्त रूप नहीं दिया जा सका ।

    गजेटियर बनने से जिले को मिलेगी अपनी मूल पहचान : युवा साहित्यकार डॉक्टर हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि अब जबकि गजेटियर प्रकाशन की पहल जमीनी स्तर पर शुरू कर दी गई है तो यह उम्मीद प्रबल होने लगी है कि जल्द ही मधेपुरा को अपना पहला गजेटियर मिलेगा।अभी तक जिले से जुड़े किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए भागलपुर और सहरसा के गजेटियर का सहारा लेना पड़ता था जो कि काफी पुराना होने के कारण कई जानकारी देने में सफल भी नहीं था। नए गजेटियर से सरकार को वित्तीय वर्ष में फैसले लेने में जहां बहुत मदद मिलेगी वहीं भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में गजेटियर प्रकाशित होने पर स्थानीय स्तर के विषयों पर शोध को भी बड़ा प्रमाणिक आधार मिलेगा।

    गजेटियर बनने से होंगे कई फायदे : डॉक्टर राठौर ने कहा कि दर्जन भर गजेटियर प्रकाशन से जहां जिले को वास्तविक पहचान मिलेगी वहीं जिले के इतिहास,भूगोल,संस्कृति,आर्थिक संरचना,प्रशासन की वर्तमान स्थिति भी स्पष्ट होगी।जो जिले को जानने में सहायक होगा।वहीं सरकार की योजनानुसार इसके अलग अलग प्रमुख अंशों को वेबसाइट पर लोड करने से आमलोगों को भी सुविधा होगी।

    राठौर ने अपील किया कि जिले से जुड़ी अगर खास जानकारी,दस्वावेज,तथ्य संग्रह आदि उपलब्ध हो तो संबंधित टीम को जरूर उपलब्ध कराएं।इस संदर्भ टीम के सदस्य बी के एन सिंह के संपर्क नंबर 95236 50146 पर साझा किया जा सकता है।गजेटियर में जितनी अधिक जानकारियों का संग्रह होगा उतनी उसकी उपयोगिता सिद्ध होगी।जिले को बेसब्री से अपने पहले गजेटियर का इंतजार रहेगा।

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