सिंहेश्वर,मधेपुरा/ महाशिवरात्रि पर बुधवार को शिव बारात मे आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. अपने आराध्य देव बाबा सिंहेश्वरनाथ के विवाहोत्सव की घड़ी का शहर के हजारों लोग साक्षी बने. मंदिर प्रांगण से निकली शिव बारात मे शामिल लाखों भक्तों ने बाबा के अनुराग और आस्था के सामने अमीर गरीब की सारी दिवार ढ़ह गयी. चहुंओर हर-हर महादेव, जय बाबा सिंहेश्वर नाथ के नारों से गूंज उठा. वही विविध स्वांग रचाये युवाओ और स्कूली बच्चों के द्वारा भूत, प्रेत, पिशाच, नंदी और शरीर में भस्म का लेप लगाये बाराती और बैंडबाजा आर्कषण का केन्द्र रहा. शाम चार बजे जब लाखों बारातियों के साथ फूल माला से लदे नटराज रथ पर सवार हुए. और माता पार्वती से विवाह रचाने निकले तो बारात के स्वागत में पूरे नगर वासी पुष्प वर्षा कर दी.
बारात स्वागत के लिए नगरवासी पहले से ही अपने घरों के आगे साफ- सफाई कर दीप जलाए हाथ में अगरबत्ती गुलाल अबीर लिए बारातियों का न सिर्फ स्वागत किया. बाबा के बारात में शामिल होकर बारात के काफिला को लगातार लंबी करते रहे. बरात में दर्जनों घुड़सवार सहित दर्जनों वाहन बारात की अगुवाई करते दिखे. बारात में कई वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी के साथ साथ स्थानीय गणमान्य लोग भी मौजूद रहे. देव नगरी में जलते दीपों की जगमगाहट से ऐसा लग रहा था मानो दीपों का त्योहार हो. बारात मंदिर से निकल कर नगर के वायपास होते हूए हाथी गेट, शर्मा चौक, दुर्गा चौक, पेट्रोल पंप, महावीर चौक सहित अन्य मार्गो का भ्रमण करते हुए बारात बाबा के ससुराल गौरीपुर पहुंची. इस दौरान सड़क के किनारे दोनों तरफ बच्चों, महिलाओं, युवाओं की भारी भीड़ बारात देखने के लिए जुटी रही. बारात के इस भक्ति में माहौल में ऐसा प्रतीत हो रहा था.
इस अलौकिक दृश्य का गवाह बनने के लिए मानो स्वर्ग के सभी देवता धरती पर उतर आए हो और महादेव बारात की अगुवाई कर रहे हों. शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुज़र रही बारात का नगर के हर धर्म व जाति के लोगों ने पुष्प अर्पित कर स्वागत किया. बारात में शामिल शिवभक्तों से नगर की गली और बाजार से लेकर बाबा दरबार तक पटा रहा. खास बात यह है कि भगवान शिव के विवाह के बाद ही महादेव की नगरी पूरी तरह शिवमय माहौल में आती है. बताया गया है न्यास की ओर से बाबा और मां गौरी की विवाह समारोह देर रात संपन्न कराया जाएगा. इसके बाद मंदिर में विशेष सरकारी पूजा का भी आयोजन किया गया.
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विवाह समारोह के बाबा को गोरी मैया मंदिर में रखा गया है. जहां चौठारी तक बाबा विराजमान रहेंगे. बाबा के विवाह पर व्रत रखने वाले हजारों श्रद्धालु जलढरी के दिन बाबा को जलाभिषेक कर अपना व्रत तोड़ेंगे.
महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की चतुर्दशी को मनाया जाता हैं. धार्मिक पुराणों के अनुसार इस दिन ही संसार की उत्पति हुई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग के उदय से उत्पन्न हुई थी. इसके अलावा यह भी धार्मिक मान्यता हैं कि इसी दिन महादेव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था.
श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे रहे स्वयंसेवक-
महाशिवरात्रि के मौके पर देवाधिदेव महादेव की नगरी सिंहेश्वर में शनिवार को विभिन्न स्वयंसेवी संस्था के कार्यकर्ताओं के द्वारा शुद्ध पेयजल, ग्लुकोज, लस्सी, दूध का शरबत और नींबू पानी उपलब्ध कराया. मंदिर प्रांगण, शर्मा चौक, सहित अन्य स्थानों पर स्टॉल लगाकर श्रद्धालुओं की सेवा में दिनभर जुटे रहे. इन स्टॉल पर दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी प्यास बुझाते दिखे.
वही बाबा के बरात में शामिल श्रद्धालु के लिए भी स्टोलों पर विशेष व्यवस्था की गई थी. वही स्टॉल के द्वारा फूल अबीर, गुलाल बाबा के बारात स्वागत में वर्षाया गया.