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  • टेंगराहा में अनूठे सत्संग का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न

    मधेपुरा/ जिले के टेंगराहा गाँव में एक अनूठे सत्संग का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। 28 जनवरी को आयोजित किए गए इस समरसता के सत्संग का आयोजन श्यामप्रिया सामाजिक समरसता केंद्र, टेंगराहा की ओर से किया गया था। इस कार्यक्रम में विविधता, समरसता और सामाजिक सद्भाव को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों पर समाज के विभिन्न


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    मधेपुरा/ जिले के टेंगराहा गाँव में एक अनूठे सत्संग का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। 28 जनवरी को आयोजित किए गए इस समरसता के सत्संग का आयोजन श्यामप्रिया सामाजिक समरसता केंद्र, टेंगराहा की ओर से किया गया था। इस कार्यक्रम में विविधता, समरसता और सामाजिक सद्भाव को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने अपना वक्तव्य दिया।

    “जुट 2025” के नाम से हुए इस कार्यक्रम में RRGIS और IPTA की ओर से एक खूबसूरत सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में समाज की मौजूदा समस्याओं पर एक विचारपरक नाट्य प्रस्तुति भी की गई जिसकी लोगों ने काफ़ी सराहना की। 

    कार्यक्रम की शुरुआत में समाजसेवी और शिक्षाविद् प्रो॰ श्यामल किशोर यादव सामाजिक समरसता केंद्र के पीछे की आवश्यकता और अवधारणा पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज हमेशा से विविधता में एकता का प्रतीक रहा है। यही विविधता हमारी समरसता के ताने-बाने को गहराई और मजबूती प्रदान करती है। हालाँकि, इस ताने-बाने को प्रभावित करने वाले कई पहलू हैं। कृषि, रोज़गार, शिक्षा, समानता, स्वतंत्रता, पर्यावरण, प्रदूषण और तकनीक जैसे कई कारक न केवल हमारे निजी जीवन को बल्कि हमारी सामूहिक चेतना को भी गहराई से प्रभावित करते हैं। उन्होंने केंद्र के द्वारा किए गए संभावित कार्यों के बारे में भी बात की। इस कार्यक्रम के माध्यम से नए और युवतर आवाज़ों को एक मंच प्रदान करने की भी कोशिश की गई।

    पूर्व कुलसचिव रह चुके सचिन्द्र महतो ने जाति-विहीन समाज की अपनी अनूठी स्थापना को श्रोताओं के समक्ष रखा। कंप्यूटर वैज्ञानिक और समाज सेवी प्रणव प्रकाश ने कहा कि तकनीक छात्रों को नई जानकारी और कौशल सीखने का अवसर देती है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। स्मार्ट क्लासरूम और इंटरनेट सुविधा से ग्रामीण क्षेत्र के छात्र भी वैश्विक शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बन सकते हैं, जो उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाता है।

    डॉ॰ अमित आनंद ने मन और शरीर की समरसता पर जोड़ दिया। सेवानिवृत प्रो॰ आलोक कुमार और किशोर कुमार ने मृत्युभोज की परंपरा को आधुनिक ज़रूरतों के मुताबिक़ ढालने पर जोड़ दिया। प्रो॰ संजय परमार  ने कहा कि सुदूर ग्रामीण इलाके के प्रतिभावान कलाकारों को बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराकर उनकी प्रतिभा की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने की जरूरत है। श्याम प्रिया सामाजिक समरसता केंद्र की पहल ‘समरसता का सत्संग’ इस दिशा में मील का पत्थर साबित होने की उम्मीद जगी है। इस कार्यक्रम में गणेश मानव, अनामिका जायसवाल, शिवम् भारती और प्रतिभा कुमारी सहित कई अन्य लोगों ने अपने विचार रखें। पेशे से शिक्षक प्रशांत प्रभाकर ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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