सीओ साहब पर दाखिल खारिज के नाम पर 38 हजार रूपया लेने का लगा आरोप
नजराना के इंतजार में वाद को खारिज करने में लग गए 110 दिन का समय
उदाकिशुनगंज ,मधेपुरा/ उदाकिशुनगंज अंचल में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। यहां पर वाद के निपटारे के लिए नजराना का इंतजार किया जाता है। नजराने के इंतजार में तय समय का भी ख्याल नहीं रखा जाता है। अलबत्ता नजराना की राशि दे भी दी जाएं तो लोगों का काम नहीं होता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। उदाकिशुनगंज अंचल क्षेत्र में दाखिल खारिज का एक मामला को निरस्त करने में अधिकारी को 110 दिन का समय लग गया। इतना ही नहीं वाद के निपटारे लिए अधिकारी ने 38 हजार रूपए लिए। बावजूद की लोगों का काम नहीं हुआ। इस संबंध में नगर परिषद क्षेत्र के फनहन गांव के सुबोध मंडल ने जिलाधिकारी मधेपुरा, मानवाधिकार आयोग, राज्स्व एवं भूमि सुधार विभाग को आवेदन भेजकर शिकायत की है। इस मामले में लोक शिकायत निवारण कार्यालय में भी सीओ के खिलाफ वाद दायर किया गया है। पूरे मामले पर सीओ हरिनाथ राम का कहना है कि आरोप बिल्कुल ही बेबुनियाद है। कोर्ट में मामला होने के कारण वाद को खारिज कर दिया गया है। सीओ का कहना है बेवजह आरोप लगाएं जा रहें हैं।
दरअसल सुबोध मंडल ने एक अक्टूबर 2024 को जमीन संबंधी में दाखिल खारिज वाद के लिए आन लाइन आवेदन किया। सुनवाई के दौरान आम और खास सूचना निर्गत किया गया। उसके बाद दो नवंबर 2024 को सीओ हरिनाथ राम ने कार्यालय के पीछे बुला कर वादी को अपने पक्ष में वाद के निपटारे के लिए 40 हजार रुपए की मांग की। वहीं तीन नवंबर 2024 को वादी ने किसी तरह 38 हजार रूपए का व्यवस्था कर सीओ को दिया। उसके बाद वाद की आन लाइन जांच किया तो दाखिल खारिज नहीं होना पाया। उसके दस दिन बाद सीओ से मुलाकात करने पर वादी को बताया गया कि पुराना वित्तीय वर्ष खत्म हो गया है। अब प्रभार में नप के ईओ है। उन्हें पचास हजार देने पड़ेंगे तब काम होगा। यह बात सुनते ही वादी आश्चर्यचकित हो गए। इस वजह से वादी को काफी पीड़ा भी हुआ। इस कारण वह अस्वस्थ भी हो गए। इस मामले में वरीय अधिकारियों से जांच कर कार्रवाई की मांग की गई है।
अब यह पता चला है कि शिकायत का मामला सामने आने पर 20 जनवरी 2025 को वाद को खारिज कर दिया गया। जहा वाद के खारिज में 110 का समय लग गया।