त्रिवेणीगंज, सुपौल/ संत वही होते हैं जो अपनों को कष्ट सहकर दूसरों को सुख पहुंचाते हैं। संतों का जीवन परोपकार के लिए होता है। इसीलिए हर इंसान को अपने-अपने स्तर से दूसरों की भलाई करना चाहिए। संतों के मार्ग पर चलकर ही मानव जाति का कल्याण किया जा सकता है। संत के ज्ञान को समझने में भगवान इन्द्र को पूरे सौ वर्ष लगे। ये बातें अपनी जन्मभूमि मचहा स्थित महर्षि मेंही आश्रम के समीप आयोजित दो दिवसीय संतमत-सत्संग के पहले दिन अपने प्रवचन के क्रम में संतमत के वर्तमान आचार्य पूज्यपाद हरिनंदन परमहंस जी महाराज ने कहीं।
उन्होंने कहा कि संतमत अच्छा कर्म करने की प्रेरणा देता है। अच्छे कर्म का फल अच्छा होता है। सबों के जीवन मे दुःख होता हैं। मानव के विभिन्न प्रयत्नों के बावजूद दुख आता हैं। तीन तरह के ताप तथा दैहिक , दैविक एवं भौतिक ताप हैं। भक्ति करने से दुखों से निकला जा सकता हैं। संत दयालु होते है। मानव शरीर बारंबार नही मिलता। उन्होंने कहा कि संत जीवन कल्याण के लिए आते है। वहीं भगवान भी भक्तों के उद्धार के लिए अवतरित होते हैं। परमात्मा की भक्ति के बिना दुःखों से मुक्ति नही मिल सकती।
संतमत सत्संग में पूज्यपाद स्वामी प्रमोदानंद जी महाराज, पूज्यपाद स्वामी निर्मलानंद जी महाराज, पूज्यपाद स्वामी परमानंद बाबा, स्वामी मनोजानंद बाबा, स्वामी अर्जुन बाबा, स्वामी छत्रधारी बाबा आदि ने भी अपने प्रवचन से लोगों को धर्म के प्रति जागरूक किया। मौके पर भारी संख्या में पुरुष व महिलाओं ने भाग लेकर खुद को धर्म का भागी बनाया। कार्यक्रम को सफल बनाने में पवन कुमार, भूमनेश्वरी प्रसाद यादव, श्याम यादव, प्रो प्रमोद कुमार, तारणी यादव, शेलेन्द्र कुमार, विजय कुमार, मिथिलेश कुमार, वासुदेव यादव आदि अपना सक्रिय योगदान दे रहे हैं।
संतमंत्र का साहित्य की हुई खरीदारी : जिले समेत अलग-अलग क्षेत्रों से आए हुए भक्तजनों ने महर्षि मेंही जी महाराज, परमहंस हरिनंदन जी महाराज की फ़ोटो, सतमंत सत्संग से जुड़े साहित्य, भजनों की पुस्तकों की जमकर खरीदारी की l
मचहा गांव स्थित महर्षि मेंही आश्रम के समीप आयोजित संतमत सत्संग के दौरान श्रोता भक्त जन आचार्य हरिनंदन जी महाराज के दर्शन एवं अमृत वाणी सुनने के लिए अधीर नजर आए। खासकर महिलाएं आधी आबादी पर भारी रहीं। इस दौरान बाबा के एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु लालायित दिखे।
आचार्य का सत्संग सुनकर अनुयायी मंत्रमुग्ध हो गए।
सुबह से ही आश्रम पहुँचने लगे अनुयायी : संतमत सत्संग को लेकर मचहा आश्रम में सुबह से ही श्रद्धालुओं पहुँचने लगा। हर कोई संतमत सत्संग में शरीक होकर परमहंस हरिनंदन जी महाराज के अमृत वाणी सुनने को बेताब दिखे। जो पहली बार आश्रम पहुंचे थे वे मंदिर के चप्पे-चप्पे से रूबरू होने को उत्सुक थे। सत्संग स्थल में महिला श्रद्धालुओं की संख्या अधिक देखी गई। दूर-दराज के श्रद्धालुओं के लिए ठहरने की व्यवस्था सत्संग स्थल के अगल-बगल में की गई थी। इधर, कार्यक्रम में हजारों की संख्या में सत्संगी प्रेमी उपस्थित थे।