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  • टोली नायक डॉ अशोक ढोके ने कहा बेटी कुदरत का अनमोल उपहार है,हमें उसका तिरस्कार नहीं करना चाहिए

    मधेपुरा ब्यूरो/दीक्षा के माध्यम से शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार जागृत होता है।मन एकाग्रत हो जाता है।इसलिए हमारे जीवन में दीक्षा का महत्व है।हमारे जीवन को अनुशासित होना बहुत जरूरी है।ईश्वर के नजर में सभी एक समान हैं लेकिन धर्म के ठीकेदारों ने इसे बांट दिया।आप का मन जो चाहे वही करें।हमें नशे


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    मधेपुरा ब्यूरो/दीक्षा के माध्यम से शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार जागृत होता है।मन एकाग्रत हो जाता है।इसलिए हमारे जीवन में दीक्षा का महत्व है।हमारे जीवन को अनुशासित होना बहुत जरूरी है।ईश्वर के नजर में सभी एक समान हैं लेकिन धर्म के ठीकेदारों ने इसे बांट दिया।आप का मन जो चाहे वही करें।हमें नशे से दूर रहना चाहिए।हमारी पीढ़ी को बर्बाद करने के लिए ही बड़े बड़े स्टार नशे की सामग्री का प्रचार करते हैं।जिंदगी जीने के लिए हमें कोई ना कोई कला जरूर सीखनी चाहिए।हमें अपने बच्चों की शिक्षा दीक्षा बेहतर तरीके से करानी चाहिए।यदि उन्हें सही शिक्षा नही मिलेगी तो वह मार्ग से भटक जाएगा।


    उक्त बातें गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार से आये टोली नायक डॉ अशोक ढोके ने कही।वे जनता उच्च विद्यालय चौसा के कीड़ा मैदान में आयोजित नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि एक बालिका को शिक्षित करने से पूरा परिवार शिक्षित होता है और मानवीय गुणों को अपनाता है। बेटी कुदरत का अनमोल उपहार है। हमें उसका तिरस्कार नहीं करना चाहिए। वे माता-पिता वन्दनीय हैं जो बेटियों को अपनी स्वयं की पहचान बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।बालिकाओं का शोषण व कन्या भू्रण हत्या समाज की सर्वाधिक विषाक्त घृणित बुराइयों में से एक है और सच तो यह है कि 21वीं सदी के इस दौर में भी हमारा देश व दुनियां के कई अन्य देश भी इस बुराई से उबर नहीं पाये हैं जिसका एक प्रमुख कारण अशिक्षा भी है।


    डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि 21वीं सदी नारी जागरण की सदी है इसलिए इस दौर में व्यक्ति को आत्म निर्माण पर जोर देते हुए संस्कारों को आत्मसात करने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से गायत्री परिवार समाज के लोगों से आह्वान करता है कि व्यक्ति को आत्म निर्माण करने की जरूरत है। इसके लिए संस्कारों को जानना व उनको आत्मसात करने की जरूरत है। इस काम को परिवार की महिला बखूबी कर सकती हैं। महिलाओं को संस्कार सीखने व सिखाने का अच्छा अनुभव होता है। आत्म निर्माण के बाद परिवार निर्माण की स्टेज आती है। उसके बाद समाज व राष्ट्र निर्माण हमारा लक्ष्य होना चाहिए। आचार्य पं.श्रीराम शर्मा ने कहा था कि हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा। उनका यह संदेश आज भी प्रासंगिक है।
    मौके पर कमल चौहान, गुणसागर राणा ने कई भक्ति गीत एवं युग संगीत को प्रस्तुत किया।

    मौके पर मुरारीलाल पटवारिका,बिपीन कुमार मंडल, सिकन्दर मेहता,दीपक कुमार, गीता भारती,संतोष कुमार सुमन,जिला संयोजक अयोध्या शरण,जिला ट्रस्टी बीरेंद्र यादव,राकेश कुमार भगत,पंडित प्रमोद प्रियदर्शी,परिव्राजक चक्रधर मेहता, गोपाल साह,साहित्यकार संजय कुमार सुमन,प्रो सुरेश प्रसाद साह,जयप्रकाश भगत, दिलमोहन पासवान, प्रह्लाद शर्मा,दुर्गानन्दन दास,अनुज कुमार मेहता,अमरज्योति कुमार, सच्चिदानंद भगत,मुकेश कुमार मंडल, पवन कुमार यादव, देवांशु कुमार देव, अमित कुमार सूर्यवंशी,माखनलाल चतुर्वेदी,कुणाल किशोर मीणा,रंजीत कुमार सिन्हा,अरुणा देवी,नीलम देवी, सीता देवी,अन्नू सिंह,मीणा देवी,समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे।

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