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  • बीएड प्रकरण में बीएनएमयू पर लगा पांच लाख का जुर्माना अन्याय पर न्याय की जीत : राठौर

    मधेपुरा/ बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन प्रकरण में मो. शाहबाज को हाई कोर्ट द्वारा लगभग दो साल के इंतजार के बाद मिले न्याय पर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर प्रतिक्रिया दी है।संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने इसे अन्याय पर न्याय की जीत बताते हुए पीड़ित छात्र मो शाहबाज


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    मधेपुरा/ बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन प्रकरण में मो. शाहबाज को हाई कोर्ट द्वारा लगभग दो साल के इंतजार के बाद मिले न्याय पर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर प्रतिक्रिया दी है।संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने इसे अन्याय पर न्याय की जीत बताते हुए पीड़ित छात्र मो शाहबाज के हौसले को सलाम किया है।

    राठौर ने कहा कि हाई कोर्ट में केस संख्या 5526/21 में जज संजीव प्रसाद शर्मा ने दो दिसम्बर शुक्रवार को सत्रह पन्ने के अपने फैसले में जिस प्रकार विस्तार से चर्चा करते हुए फैसला सुनाया है वह विश्वविद्यालय की कार्यशैली,पदाधिकारियों की मनमानी को आईना दिखाने वाला है। कोर्ट के निर्णय ने इस पर मुहर लगा दिया कि शिक्षा शास्त्र विभाग ने उससे बहुत कम अंक वाले छात्र का नामांकन लेकर अन्याय किया।कोर्ट ने पाया कि कि विभाग ने ऑन स्पॉट एडमिशन में विभिन्न स्तरों पर धांधली व गलतियां की। बीएड प्रकरण में डेढ़ दर्जन से अधिक बिंदुओं पर बीएड के ऑन स्पॉट एडमिशन प्रकरण पर चर्चा बीएनएमयू की कुव्यवस्था की पोल पट्टी खोलने वाला है।यह पोल पट्टी इस लिए खुल सकी कि मो शाहबाज ने नामांकन नहीं होने पर पीड़ित होने के उपरांत हौसला खो देने के बजाय हक के लिए संघर्ष में विश्वास दिखाया ।

    वहीं एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन में रोस्टर की अनदेखी,सीट से अधिक एडमिशन,धांधली आदि मामलों पर दो सालों तक अनेकानेक स्तरों पर लगातार विरोध प्रदर्शन,कोर्ट में पदाधिकारियों की हाजिरी ,पांच लाख के जुर्माना के बाद भी अगर विश्वविद्यालय दोषियों को चीन्हित पर कार्रवाई करते हुए पांच लाख की राशि उसूल पीड़ित छात्र को हर्जाना नहीं देता अथवा दोषी इस्तीफा नहीं देते तो निसंदेह इससे अधिक शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता।

    हर्षवर्धन सिंह राठौर

    राठौर ने कहा कि लंबा समय लेने के बाद ही सही कोर्ट के द्वारा आया फैसला विशेष कर वैसे छात्रों के लिए उम्मीद व विश्वास की किरण है जो लचर व्यवस्था व पदाधिकारियों की मनमानी के कारण कई स्तरों पर निराश हो जाते हैं साथ ही छात्रों को शोषण का आधार बनाने वाले पदाधिकारियों के लिए तमाचा भी कि गलत का अंजाम गलत ही होता है।बीएड ऑन स्पॉट एडमिशन प्रकरण में आया हुआ कोर्ट का फैसला वर्तमान व आने वाली पीढ़ी के लिए बीएनएमयू ही नहीं पूरे सूबे में शिक्षा क्षेत्र में नजीर बनेगा।

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