अमन कुमार/मधेपुरा/ जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी इन दिनों प्रेशर हॉर्न लगे बाइक खूब दौड़ते है। इस हॉर्न के वजह से कई बार लोग गंभीर रूप से दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं तो लोग लंबी बीमारी के भी कैद हो रहे है।ध्वनि प्रदूषण से आज लोग कई बीमारियों से ग्रसित हो रहे है।
बाइक की बढ़ती संख्या के अनुसार प्रेशर हॉर्न की संख्या भी बढ़ी है. ये हॉर्न अलग-अलग तरह की तेज आवाज निकालते हैं. नए उम्र के लोग इस हॉर्न का इस्तेमाल ध्यान आकृष्ट करने और खासतौर पर महिला या लड़कियों को परेशान करने के लिए करते हैं. अचानक से तेज हार्न बजाने से लोग हड़बड़ा जाते हैं कई बार लोग असहज हो जाते हैं और गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
कैसे हॉर्न आते हैं प्रेशर हॉर्न की श्रेणी में – अगर किसी हॉर्न की ध्वनि 70 डेसिबल से अधिक है, तो वह प्रेशर हॉर्न की श्रेणी में आ जाता है. इससे कम हुई तो उसे साधारण हॉर्न माना जाता है. वाहनों के शोरूम में नॉमर्ल हॉर्न ही दिये जाते हैं.
परेशान करने के लिए हैं प्रेशर हॉर्न –शहर के पानी टंकी चौक निवासी काजल कुमारी कहती है कॉलेज से आते वक्त दो बार प्रेशर हॉर्न की वजह से एक्सीडेंट होते-होते रह गई . इस तरह के हॉर्न से दिमाग कुछ समय के लिए काम करना बंद कर देता है. मस्जिद चौक के निवासी हिमांशु कुमार ने कहा कि बेवजह हॉर्न बजाने से सड़क पर चलने के दौरान परेशानी होती है और इससे एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ती है. साथ ही दिल के मरीजों को इससे कई बार परेशानी होने लगती है.
इस संबंध में जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज मधेपुरा में तैनात ईएनटी डिपार्टमेंट के सीनियर रेजिडेंट डॉ जितेंद्र कुमार बताते हैं कि प्रेशर हॉर्न लोगों को कई बार गंभीर बीमारी दे जाता है। कई बार लोगों को सुनने की क्षमता भी खत्म हो जाती है जो सदा के लिए बहरे हो जाते हैं और कई बार प्रेशर हॉर्न जो लोगों को तत्काल बहरे कर देते है।डॉक्टर जितेंद्र बताते है कि प्रेशर न केवल लोगों के लिए समस्या है बल्कि जो बजाते है वो भी इसके शिकार होते है।बताया 70 डेसिबल तक की ध्वनि लोगों के लिए उतना ज्यादा हार्मफुल नहीं होता है।प्रेशर हॉर्न सुनने से हाइपरटेंशन, स्ट्रेस, एरिटेबलिटी, गले से जुड़ी समस्या आदि लोगों को हो जाती है।