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  • भारतीय संविधान दिवस के मौके पर चौसा में याद किए गये भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर

    चौसा, मधेपुरा/भारतीय संविधान दिवस के मौके पर भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर विचार फाउंडेशन चौसा के तत्वाधान में डॉ अंबेडकर चौक चौसा परिसर में एक कार्यक्रम आयोजित किए गए। आयोजित कार्यक्रमों में भारतीय संविधान की विशेषता के साथ ही इसकी महत्‍ता और प्रदत्‍त किए गए मानव के अधिकारों के बारे में भी बताया गया। कार्यक्रम


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    चौसा, मधेपुरा/भारतीय संविधान दिवस के मौके पर भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर विचार फाउंडेशन चौसा के तत्वाधान में डॉ अंबेडकर चौक चौसा परिसर में एक कार्यक्रम आयोजित किए गए। आयोजित कार्यक्रमों में भारतीय संविधान की विशेषता के साथ ही इसकी महत्‍ता और प्रदत्‍त किए गए मानव के अधिकारों के बारे में भी बताया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता फाउंडेशन के अध्यक्ष सुबोध कुमार पासवान ने की।इस मौके पर आमलोगों के बीच संविधान प्रस्तावना को पढ़ाया गया तथा उन्हें भारतीय संविधान की जानकारी भी दी गई।


    प्रो डॉ दिवाकर पासवान ने कहा कि एक भारतीय नागरिक होने के नाते आपको समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शिक्षा से संबंधित अधिकार मिले हुए है। यदि आप के किसी भी अधिकार का हनन होता है, तो आपको संवैधानिक उपचारों का भी अधिकार प्राप्त है। साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने कहा कि आज का दिन भारतीय इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। 26 नवंबर की ऐतिहासिक तारीख को सन 1949 में भारत की संविधान समिति की तरफ से भारत के संविधान को स्वीकार किया गया था। लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को प्रभावी रूप से लागू किया जा सका।उन्होंने कहा कि संविधान दिवस पर हमें अपने अंदर ज्ञान का दिपक प्रज्जवलित करने की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को हमारे देश के संविधान के महत्व को समझ सके, जिससे की वह इसका सम्मान तथा पालन करें।


    अधिवक्ता विनोद आजाद ने कहा कि भारतीय संविधान के प्रति बाबा साहेब अम्बेडकर का स्थायी योगदान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक बहुत मददगार है। भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था।
    राजद नेत्री सीमा गुप्ता ने कहा कि एक राष्ट्र, समाज या समुदाय के जीवन में संविधान का क्या महत्व होता है।यह कैसे इंसान को सभ्य और संगठित तरीके से रहने में मदद करता है। संविधान या लिखित कानून न होने की स्थिति में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता। संविधान की गरिमा को कैसे बनाए रखा जा सकता है। शिक्षक यहिया सिद्दीकी ने कहा कि आजादी के पहले तक भारत में रियासतों के अपने अलग-अलग नियम कानून थे, जिन्हें देश के राजनितिक नियम, कानून और प्रक्रिया के अंतर्गत लाने की आवश्यकता थी। इसके अलावा हमारे देश को एक ऐसे संविधान की आवश्कता थी।जिसमें देश में रहने वाले लोगों के मूल अधिकार, कर्तव्यों को निर्धारित किया गया हो ताकि हमारा देश तेजी से तरक्की कर सके और नयी उचाइयों को प्राप्त कर सके।
    इस मौके पर फाउंडेशन के सचिव पूर्व मुखिया श्रवण कुमार पासवान, यहिया सिद्दीकी, ललन पटवे, किशोर कुमार पासवान, कोकाय यादव, रामजी पासवान, राजेंद्र राय, मनोज पासवान, विपिन पासवान, अनुज कुमार पासवान, कुंजबिहारी शास्त्री, अमित कुमार डॉन, आशीष कुमार डॉन, मृत्युंजय कुमार भगत, राहुल कुमार यादव,राज किशोर पासवान,मुखिया प्रतिनिधि इमदाद आलम समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे ।

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