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कोसी की बेटी बनी दक्षिणी दिल्ली की महापौर

मधेपुरा जिले के मुरलीगंज में है अनामिका सिंह का मायका, जबकि खुरहान गांव में है ससुराल

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 सुभाष चन्द्र झा /सहरसा/ बिहार के कोसी का इलाका प्रतिभाओं से भरी पड़ी हुई है। पढ़ाई से लेकर युद्ध क्षेत्र में भी कोसी इलाके के युवा धूम मचाते आए हैं। साथ ही राजनीतिक गलियारे में भी बिहारी लोगों की धाक से दूसरे प्रदेश के लोग अवगत होते रहे हैं। ऐसे में कोसी प्रमंडल के मधेपुरा जिला निवासी अनामिका मिथिलेश सिंह देश की राजधानी दिल्ली के राजनैतिक गलियारे में अपनी धाक दिखा रही है। वे दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की निर्विरोध महापौर नियुक्त हुई है।

बता दूं कि दिल्ली प्रदेश भाजपा ने उन्हें दक्षिणी दिल्ली के महापौर पद पर उम्मीदवार बनाया था। चूंकि भाजपा के पास दोनों सदन में पूर्ण बहुमत है। साथ ही अनामिका के विरुद्ध किसी ने भी नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया। जिसके फलस्वरूप बीते 24 जून बुधवार को वे निर्विरोध दक्षिणी दिल्ली की महापौर निर्वाचित हो गई। इससे पूर्व अनामिका दक्षिणी दिल्ली नगर परिषद में पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं समिति की अध्यक्ष थी। वे हरिनगर से पार्षद हैं।

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मालूम हो कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में महापौर पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित अनामिका मिथिलेश सिंह का जन्म जहां मधेपुरा जिले के मुरलीगंज में हुआ। वहीं उनका ससुराल मधेपुरा जिले के ही खुरहान गांव में है।
बिहार के मुरलीगंज में जन्मी अनामिका बचपन से ही मेधावी रही है। उनके दादा स्व कुशेश्वर सिंह 15 वर्ष तक लगातार बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे है। इनके पिता धीरेन्द्र नारायण सिंह मुरलीगंज स्थित बी एल इंटर हाई स्कूल में लेक्चरर रहे है।

अनामिका राष्ट्रवादी विचारधारा से काफी प्रभावित थी। उनके पति मिथिलेश सिंह ने उन्हें जन-सेवा के लिए प्रेरित किया। मिथिलेश भी संघ से जुड़े रहे है। वे राममंदिर आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे। राष्ट्रवादी विचारधारा के कारण भाजपा ने उन्हें मंडल अध्यक्ष बनाया गया था। बाद में उन्हें जिला अध्यक्ष बनाया गया।
वही अनामिका का जुड़ाव जनता के बीच रहा है। साल 2012 के निगम चुनाव में उन्हें हार मिली थी। इसके बावजूद जनता की प्रिय बनी रही। जिसका परिणाम 2017 के निगम चुनाव में वे पांच हजार से अधिक वोट से विजय प्राप्त किया। इनके पार्षद बनने के बाद इन्होंने कुड़े की गाड़ी को घर-घर पहुचाया। डस्टबिन, दरी, सिलाई मशीन का वितरण किया। जिसके कारण उनकी लोकप्रिय बढ़ती गई। जिसके बाद पार्टी ने इनकी निष्ठा को देखते हुए महापौर पद का उमीदवार बनाया और वे निर्विरोध निर्वाचित हुई।

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