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‘ अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस ‘ के अवसर पर मधेपुरा के तेजप्रताप शोध वक्ता के रूप में होंगे शामिल

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पटना/ कबीरदास ने कहा था कि ‘अपनी राह तु चले कबीरा।मधेपुरा के तेजप्रताप कुमार तेजस्वी ने कबीर के इस मूल मन्त्र को जीवन का आधार मानकर गाँव के पगडंडी से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर रहे हैं। तेजप्रताप कुमार तेजस्वी को हाल ही में भारतीय भाषा केंद्र, भाषा साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली तथा मैथिली-भोजपुरी अकादमी दिल्ली के संयुक्त तत्त्वाधान में ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस’ के अवसर पर दिनांक 21-22 फरवरी 2024 को दो दिवसीय संगोष्ठी में शोध वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया है। वे अपना शोध पत्र ‘डॉ. चन्द्रदेव यादव की भोजपुरी कविताएं और माटी प्रेम का मूल्यांकन’ पर अपनी बात रखेंगे।

तेजप्रताप कुमार तेजस्वी मूलतः बिहार के मधेपुरा जिला के निवासी हैं। उनके माता-पिता सुबीलाल मंडल और रामकुमारी देवी हैं। उनके पिताजी किसान हैं और पान बेचकर, साईकिल ठीक करके तथा खेती करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। उनकी माँ राजकीय मध्य विद्यालय तरहा डंडारी में खिचड़ी बनाती है। तेजप्रताप कुमार तेजस्वी इसी विद्यालय से आठवीं तक की पढ़ाई पूर्ण की है। उनका गाँव चंपानगर तरहा है।

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आपको बता दूँ कि तेजप्रताप कुमार तेजस्वी का अंतर्राष्ट्रीय मंच पर शोध पत्र पढ़ने का यह दूसरा अवसर है। इससे पूर्व वे भारतीय भाषा केंद्र, भाषा साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान,जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली एवं British Ravidassia Heritage Foundation, London के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ‘संत गुरु रविदास: जीवन, दर्शन एवं साहित्य पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपना विचार व्यक्त कर चुके हैं। उन्होंने इस संगोष्ठी में ‘हिंदी साहित्य के इतिहासकारों की संत रविदास विषयक दृष्टि’ विषय पर मुख्य वक्ता के तौर पर अपना व्याख्यान दिया था। इस हेतु उन्हें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में मोमेंटो देकर British Ravidassia Heritage Foundation, London के सचिव सत पाल ने सम्मानित किया था। इस शोध पत्र की प्रशंसा भारतीय भाषा केंद्र, भाषा साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. राजेश पासवान ने किया और British Ravidassia Heritage Foundation के अध्यक्ष ओमप्रकाश बाघा ने किया।

वर्तमान में तेजप्रताप कुमार तेजस्वी, हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर हैं। कहा जाता है कि आज शोध कार्य नीरस और स्तरविहीन हैं। परंतु शोध कार्य एक यात्रा है। यह मानसिक और भाषिक यात्रा है। यह नये तथ्यों नये तरीकों से ढूंढने का अनूठा अनुभव है। यह अपने शोध विषय के परंपरा और सांस्कृतिक यात्रा से जुड़ने का माध्यम है। यह एक शोध छात्र की कलाकारिता, श्रद्धापरायणता और बौद्धिकता के समन्वय से निर्मित यात्रा है, जिसके हर अध्याय में अक्षय ताजगी और संवेदनात्मक समृद्धि होती है। कई वर्षों के कठिन तपस्या के परिणाम स्वरूप शोध छात्र को यह उपलब्धि प्राप्त होती है। तेजप्रताप कुमार तेजस्वी ऐसे ही शोध छात्र हैं। उन्होंने शोध के क्षेत्र में अपनी लेखन के माध्यम से और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी अभिव्यक्ति से स्थायी तलाश में स्थायित्व का सौंदर्यबोध भी शोध है, जैसे पंक्तियों को सार्थक किया है।

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